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घाट रहेंगे वर्ष भर साफ, सहयोग करें शहरवासी

घाट रहेंगे वर्ष भर साफ, सहयोग करें शहरवासी सभी नदी घाटों के लिए कमेटी बनाने का प्रस्तावनगर आयुक्त ने स्थानीय लोगों से भी मांगा सहयोगसंवाददाता, गया हर साल छठ के दौरान नदी व तालाबों के घाटों की साफ-सफाई की जरूरत आखिर क्यों पड़ती है? क्यों न कुछ ऐसी प्लानिंग की जाये, ताकि वर्ष भर घाट […]

घाट रहेंगे वर्ष भर साफ, सहयोग करें शहरवासी सभी नदी घाटों के लिए कमेटी बनाने का प्रस्तावनगर आयुक्त ने स्थानीय लोगों से भी मांगा सहयोगसंवाददाता, गया हर साल छठ के दौरान नदी व तालाबों के घाटों की साफ-सफाई की जरूरत आखिर क्यों पड़ती है? क्यों न कुछ ऐसी प्लानिंग की जाये, ताकि वर्ष भर घाट साफ-सुथरे नजर आयें. गुरुवार को महादेव घाट, बिंदेश्वरी घाट व रामशिला घाट आदि के निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त विजय कुमार ने अधिकारियों व वार्ड पार्षदों को यह सुझाव दिया. इस दौरान तय हुआ कि शहर के तमाम घाटों की रखवाली उस इलाके के लोगों की मदद से की जाये. हर घाट के लिए एक कमेटी बने, जो वर्ष भर घाटों की सफाई व अन्य जरूरी संसाधनों का ध्यान रखें. स्थानीय पार्षद को इसमें अहम भूमिका अदा करनी होगी.नगर आयुक्त ने कहा कि लोगों को साथ लेकर काम करने से सामाजिक स्तर पर भी जागरूकता लायी जा सकती है. घाटों पर कचरे का गिरना स्थानीय लोगों की ही मदद से ही रुक सकेगा. नगर आयुक्त के साथ रहे सफाई प्रभारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा, पार्षद लालजी प्रसाद व दीपक कुमार ने भी इस सुझाव को बेहतर माना. नगर आयुक्त ने कहा कि जल्द ही सभी पार्षदों व अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जायेगा. गंदगी व असामाजिक तत्वों का ठिकानाशहर के तमाम नदी घाटों को देखें, तो सभी की स्थिति एक समान जैसी ही है. आसपास के घरों व होटलों के कचरे घाटों पर ही गिराये जाते हैं. छठ के बाद नगर निगम का भी ध्यान घाटों की ओर नहीं जाता है. हां, देवघाट की स्थिति अन्य सभी घाटों से थोड़ी अलग है, लेकिन उसे भी बेहतर नहीं कहा जा सकता है. यहां कम ही मात्रा में सही, गंदगी जरूर देखने को मिल जाती है. गंदगी की समस्या से अलग नदी घाटों पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी लगा रहता है. नगर आयुक्त जब बिंदेश्वरी घाट पहुंचे, तो वहां के लोगों ने बताया कि घाटों पर शाम होते ही अफीम-चरस बेचनेवाले आपराधिक तत्व जमा हो जाते हैं. अगर शाम में घाटों की ओर जाकर कोई व्यक्ति घूमना भी चाहे, तो यह संभव नहीं है. इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि इन सभी समस्याओं से निबटने के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग जरूरी है. निगम के सामने हैं कई मुश्किलेंनदी घाटों के निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त विजय कुमार ने कहा कि इतने वर्षों की नौकरी में उनका ज्यादातर समय गया जिला में ही बीता. विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्हें हमेशा लगा कि गया नगर निगम कभी भी बेहतर काम नहीं करता. शहर की स्थिति को लेकर गंभीर नहीं दिखता. लेकिन, अब नगर आयुक्त के तौर पर काम करने के बाद निगम की स्थिति समझ में आ रही है. नगर निगम वाकई विपरित परिस्थितियों में काम करता है. सीमित संसाधनों के बीच शहर की व्यवस्था बनाये रखना काफी मुश्किल है. सामाजिक स्तर पर भी निगम को सहयोग नहीं मिल पाता है. अगर शहर के लोगों का सहयोग मिले, तो स्थिति बेहतर की जा सकती है.

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