गया: जिला पर्षद के सभागार में शनिवार को दी मगध सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, गया की वार्षिक आमसभा में बिहार को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक विजय वात्सयायन ने कहा कि सहकारी समितियों का मूलभूत ढांचा बरकरार रहे. बिना वजह सरकार की दखलंदाजी सही नहीं है. इससे चुने हुए प्रतिनिधियों का मनोबल टूटता है.
बिस्कोमान के अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार सिंह ने कहा कि पैक्सों व अन्य सहयोगी समितियों को आम जन तक पहुंचाने व अधिक कारोबार के लिए सदस्य संख्या बढ़ाने की जरूरत है. लेकिन, यह सरकारी मुलाजिम नहीं, बल्कि निदेशक मंडल तय करे. उन्होंने कहा कि सरकारी व निजी बैंकों को सरकारी पैसे दिये जाते हैं. मसलन, यह कि इन्हीं बैंकों में सरकारी पैसे रखे जाते हैं, जबकि को-ऑपरेटिव बैंक सरकार की हर लाभकारी योजनाओं में सहभागिता जताता है. चाहे वह धान, गेहूं की अधिप्राप्ति हो या उर्वरक की उपलब्धता. फिर सरकारी खजाने उनके बैंकों में क्यों नहीं रखे जाते, को-ऑपरेटिव बैंक में सरकारी पैसे रखे जायें, इससे बैंक का भला होगा.
को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक मो निसार अहमद ने चालू वित्त वर्ष का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि बैंक का डिपॉजिट 37 करोड़ से घट कर 34 करोड़ पर जा पहुंचा है. इसे अतिशीघ्र बढ़ाने की जरूरत है. बैंक का एक्यूमिटेड लॉस (संचित हानि) चार करोड़ 40 लाख से घट कर तीन करोड़ 80 लाख पर पहुंची है, पर इसे शून्य पर लाने की जरूरत है. बैलेंस सीट के बारे में बताया कि वर्ष 2012-13 में बैंक ने 55 लाख 60 हजार रुपये का मुनाफा कमाया है. आमसभा की अध्यक्षता उमेश कुमार वर्मा ने की.
इस मौके पर जिला पर्षद के अध्यक्ष नीमा कुमारी व उपाध्यक्ष डॉ शीतल प्रसाद यादव, वैशाली को-ऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष रघुवंश नारायण सिंह, औरंगाबाद को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन संजय कुमार सिंह, उपाध्यक्ष अरविंद कुमार वर्मा, निदेशक अनिता देवी, सच्चिदानंद सिंह, शरद कुमार नयन, डॉ सूर्यदेव सिंह यादव, अब्दुल अजीम अंसारी, महेंद्र प्रसाद यादव, राजेश कुमार रजक आदि उपस्थित थे. आमसभा में पैक्स अध्यक्ष व प्रतिनिधि, व्यापार मंडल के सदस्य, बुनकर सहयोग समिति व मत्स्य सहयोग समिति के अलावा अन्य सहयोगी समितियां, को-ऑपरेटिव के सदस्य व अधिकारी मौजूद थे.