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कोबरा ने मारा या खुद ही मार ली थी गोली ?
गया: 17 मई को बाराचट्टी थाने के जंगल में पुलिस-मुठभेड़ में मारी गयी चतरा-गिरिडीह सीमांत जोन की कमांडर सरिता गंझू उर्फ उर्मिलाजी के बारे में कई चर्चाएं हैं. कोबरा का दावा है कि महिला माओवादी सरिता गंझू मुठभेड़ में मारी गयी. लेकिन, सूत्रों के अनुसार, सरिता ने अपने साथी इंदलजी, गुलशन यादव उर्फ आलोकजी व […]
गया: 17 मई को बाराचट्टी थाने के जंगल में पुलिस-मुठभेड़ में मारी गयी चतरा-गिरिडीह सीमांत जोन की कमांडर सरिता गंझू उर्फ उर्मिलाजी के बारे में कई चर्चाएं हैं. कोबरा का दावा है कि महिला माओवादी सरिता गंझू मुठभेड़ में मारी गयी. लेकिन, सूत्रों के अनुसार, सरिता ने अपने साथी इंदलजी, गुलशन यादव उर्फ आलोकजी व वीरेंद्रजी सहित करीब 22 माओवादियों को बचाने के लिए खुद मुकाबला करती रही.
सूत्र बताते हैं कि पुलिस मुठभेड़ अचानक हुई. पुलिस की टीम जब पहाड़ की ओर चढ़ रही थी, तो उन्हें वरदी में अत्याधुनिक हथियारों के साथ कुछ लोग दिखाई दिये. पुलिस ने समझा कि उनकी ही टीम दूसरी तरफ से आ रही है. पुलिस ने अपने कोड वर्ड में आवाज दी. लेकिन, सामने माओवादियों की टीम थी. अचानक पुलिस को देख माओवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी. लेकिन, सरिता ने फायरिंग करते हुए अपने साथियों को निकलने की आवाज लगायी. उसने माओवादियों के निकलने तक फायरिंग की. इस दौरान सरिता ने उन्हें आश्वस्त किया था कि पुलिस उसे जिंदा नहीं पकड़ेगी. उनके पकड़ने से पहले ही वह खुद को गोली मार लेगी. पता चला है कि सरिता लगातार फायरिंग करती रही. जब वह आश्वस्त हो गयी कि उनके साथी वहां से निकल गये और पुलिस उसके नजदीक है, तो उसने सिर में गोली मार ली. हालांकि, सरिता की मौत के बारे में अधिकारियों ने 17 मई को बयान दिया था कि कोबरा के एलएमजीबी नामक हथियार से फायरिंग में सरिता मारी गयी.
चतरा-गिरिडीह सीमांत जोन को एक करने की थी योजना : 2004 में सरिता गंझू के पति सह कमांडर सुनील गंझू की गिरफ्तारी व उसके बाद चतरा-गिरिडीह सीमांत जोन के सब जोनल कमांडर कृष्णा यादव की हत्या के बाद माओवादी संगठन को कमजोर होने से बचाने के लिए सरिता गंझू ने कौलेश्वरी व चतरा-गिरिडीह सीमांत जोन को एक करने की योजना बनायी और कौलेश्वरी जोन के सब जोनल कमांडर (इमामगंज थाने के असुराइन के रहनेवाले) उमा उर्फ इंदल गंझू के साथ होकर कामकाज करने लगी. इसी दौरान मई के दूसरे सप्ताह से ही सरिता गंझू व इंदल की टीम गया जिले के बाराचट्टी इलाके में आयी थी. जंगल में माओवादियों की बढ़ती गतिविधि को लेकर 17 मई की अहले सुबह से कोबरा ने कांबिंग ऑपरेशन शुरू किया था.
माओवादियों ने सरिता गंझू को दी थी सलामी : 18 मई को सरिता गंझू के शव को मगध मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम करा कर उसके शव को शीतगृह में रखा गया. उसके शव लेने के लिए 21 मई को दोपहर उसके परिजन गया पहुंचे. कागजी कार्रवाई होते-होते शाम हो गयी. करीब साढ़े पांच बजे पुलिस उसके परिजनों के साथ शव लेकर विष्णुपद मंदिर के पास स्थित श्मशान घाट पहुंची. रात में करीब 11 बजे उसके शव का दाह संस्कार हुआ. सूत्र बताते हैं कि सरिता को सलामी देने के लिए माओवादियों की एक टीम रात में करीब 12 बजे श्मशाम घाट आयी थी और सलामी देकर निकल गयी. इसकी भनक पुलिस को भी नहीं लगी. श्मशान घाट पर पुलिस के दो ही अधिकारी मौजूद थे, जो कागजी प्रक्रिया पूरा करने में लगे थे. हालांकि, अत्याधुनिक हथियारों के साथ कुछ जवान तुलसी बाग के पास गाड़ी में थे.
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