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जरमेरा व शिमला मिर्च ने बदली तकदीर

मांझा (गोपालगंज): उत्तम खेती, मध्यम व्यवसाय, नीच चाकरी, भीख निदान घाघ की इस कहावत को चरितार्थ करते हैं मांझा प्रखंड के दुलदुलिया गांव के रहनेवाले अनवार हुसैन. अपने जीवन के 56 वसंत देख चुके अनवार हुसैन जीवन की तमाम झंझावातों को झेल चुके हैं. बचपन में पिता का साया सिर से उठ गया. होश संभाले […]

मांझा (गोपालगंज): उत्तम खेती, मध्यम व्यवसाय, नीच चाकरी, भीख निदान घाघ की इस कहावत को चरितार्थ करते हैं मांझा प्रखंड के दुलदुलिया गांव के रहनेवाले अनवार हुसैन. अपने जीवन के 56 वसंत देख चुके अनवार हुसैन जीवन की तमाम झंझावातों को झेल चुके हैं. बचपन में पिता का साया सिर से उठ गया. होश संभाले तो दादा और दादी का स्नेह मिला. मैट्रिक की पढ़ाई के दौरान पहले दादा उसके बाद दादी का निधन हो गया.
इससे मैट्रिक की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके. परिवार की जिम्मेवारी आ गयी. अनवार 1970 के दशक में चाहते तो सरकारी नौकरी मिल गयी होती. उसने अपने पूर्वजों की विरासत को संभालने का निर्णय लिया. तब 30 एकड़ खेत को जोत-बोकर आबाद करने की चुनौती थी. अनवार ने खेती को चुनौती के रूप में लिया. गेहूं, धान के अलावा तब सिर्फ गन्ना नकदी फसल थी. अनवार ने तकनीक के साथ खेती करने का निर्णय लिया. समय पर खेती का कार्य को करने लगे. गóो के साथ मक्का, अजवाइन, मेथी, धनिया, उरद, प्याज की खेती की शुरुआत की. यह कारवां आगे बढ़ता चला गया. ईमानदारी और कठिन परिश्रम ने मुकाम भी दिलाया. अनवार हर वक्त खेती में कुछ नया करने में विश्वास रखते हैं. इनके इस जज्बात को देख कृषि विभाग ने भी सहयोग किया.
10 लाख की लागत से बनाया पॉली हाउस
अनवार हुसैन पूरे तन्मयता के साथ खेती करते थे. खेती को बेहतर करने की कोशिश ने कृषि विभाग को इनके सहयोग करने पर विवश कर दिया. वर्ष 2012-13 में कृषि विभाग से अनुदान पर पॉली हाउस बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए नोडल कंपनी में एक लाख रुपया जमा करना पड़ा था. आज तीन एकड़ खेत में पॉली हाउस का निर्माण किया गया है, जिसमें गेंदा, जरमेरा के फूल, शिमला मिर्च, टमाटर, सुरंग (ओल), गोभी की खेती पूरे वर्ष करते हैं. जरमेरा की डिमांड शादी-विवाह में दूल्हे की गाड़ी तथा दुल्हन के मंडप को सजाने के सबसे अधिक है. इसका कारोबार दिल्ली, लखनऊ से लेकर पटना तक फैला हुआ है. इसके अलावा गेंदों के फूल की काफी डिमांड रहती है. पॉली हाउस से प्रति वर्ष 10 लाख तक की आमदनी है. उन्होंने गन्‍ने के खेत में आलू, सरसों, धनिया, प्याज, मेथी का उत्पादन करते हैं, तो परवल की खेती से आर्थिक स्थिति को मजबूत किया.
बेटा बना इंजीनियर, बेटियों की हुई शादी
खेती ने अनवार के सपने को पूरा किया है. बड़े बेटे अरशद परवेज ने बेंगलुरु से इंजीनियरिंग कर हाल ही में दिल्ली के एक कंपनी में योगदान किया है, जबकि दूसरा तारिक अनवर भोपाल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. अगले वर्ष उसकी भी पढ़ाई पूरी हो जायेगी. पांच बेटियों में चार की शादी हो चुकी है. सभी इंटर हैं. एक बेटी की शादी करनी है. आज खेती से खुद को संतुष्ट हैं. साथ ही पूरे इलाके के किसानों के लिए नजीर बने हुए हैं. जिला कृषि पदाधिकारी डॉ रवींद्र सिंह का मानना है कि अनवार हुसैन जैसा किसान से ही इस जिले की कृषि व्यवस्था दुरुस्त होगी.

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