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कफ सीरप व एंटी रैबीज इंजेक्शन तक नहीं

गया: तपिश बढ़ने के साथ ही लूज मोशन (दस्त), डिसेंट्री (पेचिश), डायरिया व सन एक्जॉस्ट की शिकायतें बढ़ गयी हैं. ऐसे में सरकारी अस्पतालों की जिम्मेवारी भी बढ़ना स्वाभाविक है. लेकिन, अस्पतालों में दवा का अभाव हो, तो बीमारियों का इलाज बेमानी ही होगा. इसी मुद्दे को लेकर ‘प्रभात खबर’ ने जिले के कुछ सरकारी […]

गया: तपिश बढ़ने के साथ ही लूज मोशन (दस्त), डिसेंट्री (पेचिश), डायरिया व सन एक्जॉस्ट की शिकायतें बढ़ गयी हैं. ऐसे में सरकारी अस्पतालों की जिम्मेवारी भी बढ़ना स्वाभाविक है. लेकिन, अस्पतालों में दवा का अभाव हो, तो बीमारियों का इलाज बेमानी ही होगा. इसी मुद्दे को लेकर ‘प्रभात खबर’ ने जिले के कुछ सरकारी अस्पतालों की पड़ताल की.

पाया गया कि कई अस्पतालों में इक्का-दुक्का जरूरी दवाओं को छोड़ कर मौसमी बीमारियों से निबटने के लिए भी पर्याप्त मात्र में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. सिजेरियन में उपयोग होनेवाला ईथर व केटामीन इंजेक्शन के साथ-साथ एंटी रैबीज वैक्सीन का हर जगह अभाव है. प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों में आनेवाली मरीजों की सिजेरियन की नौबत आने पर अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो जाती है. मरीज के परिजनों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती है जिसमें दो से तीन हजार रुपये खर्च हो जाते हैं.

जयप्रकाश नारायण अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एसजेड अहसन ने बताया कि मौसम बदलने व तपिश बढ़ने से लूज मोशन, डिसेंट्री, डायरिया व सन एक्जॉस्ट के मरीजों में इजाफा हुआ है. लेकिन, अस्पताल में दवाओं की कोई कमी नहीं है. स्टोर में ईथर उपलब्ध नहीं रहने पर भी रोगी कल्याण समिति से खरीद कर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है.
इधर, सिविल सजर्न (सीएस) ऑफिस के अनुसार, स्टोर में पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं. ओपीडी की 33 दवाओं में से 30 दवाएं उपलब्ध हैं. एंटी रैबीज वैक्सीन, जायलोमेथाजोलीन नोजल ड्रॉप व सपरीसंट कफ सीरप उपलब्ध नहीं है. इसी प्रकार इनडोर की 114 दवाओं में से 90 उपलब्ध हैं. ईथर, केटामीन इंजेक्शन, पैरासिटामोल इंजेक्शन, ट्रमोडोल हाइड्रोक्लोराइड इंजेक्शन, एडरेनालीन बेटाट्रेट इंजेक्शन, वेलेथामेट इंजेकशन, निकेथमाइड इंजेक्शन व फ्रेमाइसिटीन स्कीन वाइटमेंट आदि उपलब्ध नहीं हैं. करीब आधे दर्जन वैसी दवाएं हैं, जिनकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती है. ये दवाएं सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटलों के लिए उपयोगी हैं.

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