गया: विश्व कल्याण के लिए सभी समस्याओं का समाधान व विश्व कल्याण संस्कृत से ही संभव है. संस्कृत ही अन्य भाषाओं की मातृ भाषा है. वेदों की ऋचाएं संस्कृत में ही है. उक्त बातें धर्मसभा भवन में बुधवार को अखिल भारतीय विद्वत परिषद के तत्वावधान में संस्कृत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आचार्य चंद्रशेखर मिश्र ने कहीं.
मुख्य अतिथि मुरारका संस्कृत महाविद्यालय, पटना सिटी के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ रवींद्र कुमार मिश्र ने कहा कि संस्कृत की शब्दावली से अधिकाधिक भावाभिव्यक्ति होती है. डॉ रवींद्र कुमार पाठक, डॉ सुरेश पाठक, आचार्य लाल भूषण मिश्र, राधेश्याम पांडेय आदि विद्वानों ने संस्कृत को हिंदी भाषा को प्रौढ़ता प्रदान करनेवाला व संस्कृति की रक्षिका व प्राचीनतम भाषा बताया.
वरिष्ठ साहित्यकार गोवर्धन प्रसाद सदय, रामावतार सिंह, आचार्य महेंद्र पांडेय, पंडित ब्रजभूषण शास्त्री, आचार्य अखिलेश मिश्र, कृष्ण मोहन पाठक आदि विद्वानों ने संस्कृत के महत्व की चर्चा की और इसे व्यवहार की भाषा व जन वार्तालाप की भाषा व सरल व सुबोध भाषा बताया.