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सावन में भी नहीं हो रही बारिश, सूखे की चपेट में गया

गया: गया जिला पूरी तरह सूखे की चपेट में आ गया है. अमूमन 10 अगस्त तक धान की रोपनी का काम पूरी तरह समाप्त हो जाना चाहिए. अगस्त महीने की पांच तारीख हो गयी है. गया जिले की खेती वर्षा आधारित है. जुलाई महीने में औसतन काफी कम बारिश हुई है. जुलाई में 294.5 मिलीमीटर […]

गया: गया जिला पूरी तरह सूखे की चपेट में आ गया है. अमूमन 10 अगस्त तक धान की रोपनी का काम पूरी तरह समाप्त हो जाना चाहिए. अगस्त महीने की पांच तारीख हो गयी है. गया जिले की खेती वर्षा आधारित है. जुलाई महीने में औसतन काफी कम बारिश हुई है. जुलाई में 294.5 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, जिसके विपरीत 57.3 मिलीमीटर ही बारिश हो पायी है.

अगस्त महीने में 280.9 मिलीमीटर बारिश के विपरीत चार अगस्त तक 17.2 मिली मीटर बारिश हुई है. इसकी वजह से चार अगस्त तक जो धान की रोपनी का प्रतिशत गया में है, वह मात्र 6.87 प्रतिशत ही है, जबकि यहां धान के आच्छादन का लक्ष्य 1,55000 हेक्टेयर भूमि पर निर्धारित है. खरीफ फसल की अनावृष्टि के मद्देजनर फसलों के उत्पादन में वृद्धि के मद्देनजर सिंचाई के लिए डीजल अनुदान के पैसे कृषि विभाग को भेजी गयी है. जिले के किसानों के लिए तीन करोड़ 76 लाख 75 हजार रुपये खर्च की स्वीकृति प्रदान की गयी है. जिले में डीजल अनुदान की पहली किस्त एक करोड़ 29 लाख 97 हजार आठ सौ 75 रुपये प्राप्त हो चुका है. इस पैसे को जिले के सभी 24 प्रखंडों को किसानों के लिए भेज दिया गया है. इसकेबाद सरकार दूसरी किस्त के पैसे भेज देगी. पिछले सात वर्षो में गया जिले में सबसे कम बारिश का रिकार्ड इस बार दर्ज किया गया है और धान की रोपनी का प्रतिशत भी बिल्कुल न के बराबर. इससे सूखे के आसार शत-प्रतिशत बने हैं.

डीएओ ने किसानों को दिये टिप्स
जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा भगत की मानें, तो गया की भूमि चूंकि ऊंची व मध्यम है. इस कारण अगस्त महीने में यदि बारिश हो गयी, तो आम तौर पर यहां के किसान 15 अगस्त तक धान की रोपनी करते हैं. बारिश नहीं होने व आसार भी नहीं दिखने के मद्देनजर डीएओ ने किसानों को सुझाव भी दिये हैं कि ऐसी परिस्थिति में किसान 50-60 दिनों में तैयार होने वाले धान के बिचड़े का ट्रांसप्लांटेशन अपने खेतों में करें. इनमें धान के पौधे का किस्म तुरंता, प्रभाव, पूसा 2-21, पूसा-33, सहभागी, शुष्क सम्राट आदि श्री विधि या सीधी विधि से जल की उपलब्धता के अनुसार लगाने के सुझाव किसानों को दिये जा रहे हैं.

श्री महतो ने किसानों को यह भी सुझाया है कि बारिश की कमी को देखते हुए किसान वैकल्पिक खेती मक्का, दलहन, तेलहन, तोरिया, पशु चारा या फिर सब्जी के विभिन्न वेराइटी जैसे भिंडी, मूली, साग, फूल गोभी, बैगन, टमाटर, मिर्च, कद्दू आदि लगायें. सोयाबीन की खेती भी की जा सकती है. वर्ष 2013 के लिए धान की फसल का हेक्टेयर में प्रखंडवार आच्छादन लक्ष्य, हुई रोपनी व प्रतिशत निम्‍न प्रकार है.

वैकल्पिक खेती की सलाह
गया की भूमि उर्वरा है. यहां की भूमि ऊंची व मध्यम है. वर्षा आधारित इस जिले में जल के संग्रहण की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. जल छाजन के लिए भूमि संरक्षण विभाग व वन विभाग कुछ-कुछ काम कर रहे हैं. पर, बारिश नहीं होने की स्थिति में वह भी कारगर नहीं हो पायेगा. आंकड़े बता रहे हैं कि सुखाड़ हो जायेगा. अभी 10 दिन शेष हैं, बारिश हो गयी, तो तेजी से धान की रोपनी हो जायेगी और जिला लक्ष्य के करीब होगा. हालांकि, ऊंचे स्थानों पर लगे धान के बिचड़े की खेतों में दरारें पड़ गयी हैं.

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