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बिना किताबों के कैसे पढ़ेंगे बच्चे?

गया: शिक्षण सत्र के तीन माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक जिले के प्रारंभिक विद्यालयों के छात्र-छात्रओं को पुस्तक नसीब नहीं हो सकी है. यह बाजारों में भी नहीं मिलती है. बच्चे स्कूल तो जाते हैं, लेकिन बिना किताबों के पढ़ाई नहीं कर पाते. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बिहार स्टेट टेक्सट […]

गया: शिक्षण सत्र के तीन माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक जिले के प्रारंभिक विद्यालयों के छात्र-छात्रओं को पुस्तक नसीब नहीं हो सकी है. यह बाजारों में भी नहीं मिलती है.

बच्चे स्कूल तो जाते हैं, लेकिन बिना किताबों के पढ़ाई नहीं कर पाते. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बिहार स्टेट टेक्सट बुक कॉरपोरेशन लिमेटेड (बीएसटीबीसीएल) द्वारा जिले को उपलब्ध करायी गयीं पुस्तकों का ब्योरा जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. हालांकि डीइओ विनोद कुमार झा का दावा है कि बीएसटीबीसीएल ने 40 प्रतिशत पुस्तक उपलब्ध करा दी गयी है. शेष 60 प्रतिशत पुस्तक शीघ्र ही उपलब्ध करा दी जायेंगी.

लेकिन, उन्हें कहां-कहां पुस्तकें पहुंची है, जिसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि बीएसटीबीसीएल द्वारा सीधे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पुस्तकें भेजी जाती हैं. इस संबंध में डीइओ कार्यालय को कोई लिखित सूचना नहीं दी जाती है. बीइओ की बैठक के बाद स्पष्ट हो सकेगा कि किस प्रखंड में कितनी पुस्तकें भेजी गयी हैं. इधर, सूत्रों ने बताया कि जिले में आठ लाख से अधिक पुस्तकों की मांग की गयी हैं. एक सप्ताह पहले नगर निगम, टिकारी, नगर प्रखंड, मोहनपुर, कोंच, वजीरगंज, डुमरिया, मानपुर समेत 10 प्रखंडों में लगभग दो लाख पुस्तकें पहुंच चुकी हैं. जानकारी मिली है कि एक सप्ताह के भीतर शेष पुस्तकें आ जायेंगी.

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