गया: गया शहर में 20 से ज्यादा चौराहे हैं, जहां ट्रैफिक सिगनल, लाइट्स की जरूरत हैं. इनमें कुछ सिगनल नजर भी आते हैं, वहां न तो रेड, पीली व लाल बत्तियां जलती हैं, न ही दायें-बायें का इशारा करने वाले प्रशिक्षित पुलिस. इसके चलते चालक मनमाफिक वाहनों को सुविधाजनक तरीके से दौड़ाते हैं. यानी, व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं.
नतीजतन, आये दिन सड़क दुर्घटनाओं में लोगों को जान गंवानी पड़ रही हैं. कई लोग हाथ-पैर तुड़वा कर अस्पताल का सहारा लेते हैं. इतना ही नहीं, लचर प्रशासनिक सिस्टम के कारण यातायात के नियमों के पालन के प्रति आम नागरिकों में जागरूकता भी नजर नहीं आ रही है. अब पुराने नियमों की जगह जिला प्रशासन ने नयी ट्रैफिक नीति के तहत प्लान (नयी बोतल में पुरानी शराब) बनाया है. इसकी जिम्मेवारी स्मार्ट पदाधिकारियों को सौंपी गयी है.
फाइलों में बंद हैं स्लोगन
परिवहन विभाग के कई स्लोगन हैं. ‘सड़क सुरक्षा, हमारी प्रतिबद्धता और सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा’, ट्रैफिक नियमों का पालन करें. ट्रैफिक नियमों से परिवहन विभाग को सड़कों पर बोर्ड के माध्यम से सार्वजनिक करना है. पर, आप पूरा शहर में घूम जायें, स्लोगन व चिह्न् कहीं नहीं मिलेंगे. किस रोड में प्रवेश निषेध है, कौन सा रास्ता वन वे है, किस सड़क पर दोनों दिशाओं से वाहनों के प्रवेश पर रोक है, किस रोड में किस वाहन के लिए नो इंट्री है या कुछ और कोई चिह्न् नहीं मिलेगा. हालांकि, ये बोर्ड समाहरणालय की शोभा बढ़ा रहे हैं.
इन्हें चौक-चौराहों पर कब लगाया जायेगा, किसी को नहीं पता. जेब्रा क्रॉसिंग भी कहीं नहीं मिलेगा. चार जून को जिलाधिकारी बाला मुरुगन डी की अध्यक्षता में शहर में ट्रैफिक व्यवस्था की नयी नीति लागू करने के लिए घंटों विचार-विमर्श हुआ. योजना बनी कि शहर के प्रमुख मार्गो पर ट्रैफिक नियमों से संबंधित चिह्नें के बोर्ड लगाये जाएं. 13 स्थानों पर ट्रैफिक पोस्ट बनाने, सिग्नल की व्यवस्था व ट्रैफिक पुलिस की तैनाती पर विचार हुआ.