गया: पुराने व सामान्य रोगों के निदान में कारगर होमियोपैथ से अब डायबिटीज (मधुमेह) का भी इलाज हो रहा है, बशर्ते इस बीमारी के शुरुआती दौर में इस पद्धति का प्रयोग किया जाये. होमियोपैथी दवा के इस्तेमाल से न तो साइड इफेक्ट्स होंगे, न ही शरीर के दूसरे अंगों किडनी, हर्ट, लीवर व आइ आदि को नुकसान पहुंचने का डर रहेगा. यह कहना है शहर के जीबी रोड स्थित सेवा होमियो के डॉ शैलेश रंजन का.
डॉ रंजन के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण, मानसिक तनाव, वातावरण में बदलाव व खान-पान दुरुस्त नहीं होने के कारण लोग हाइपरटेंशन, डायबिटीज, मोटापा, गैस, जोड़ों का दर्द, साइटिका व साइनस आदि गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. अनदेखी करने पर कोल्ड फ्लू ही साइनस का रूप ले लेता है. इनके अलावा त्वचा संबंधी बीमारियां भी बढ़ रही हैं. मुहासा, एक्जिमा, घाव, हाइव्स, सोरियासिस, चकत्ता व दाद के मरीजों की संख्या
में भी इजाफा हुआ है. इन सब बीमारियों के निदान में होमियोपैथ असरदार साबित हो रही है. यह पद्धति बीमारियों को दबाती नहीं है, बल्कि उसके कारणों के हिसाब से बीमारी का समूल नष्ट करती है. यहीं कारण है कि आज होमियोपैथ के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा है.उन्होंने बताया कि अब होमियोपैथ में भी तकनीक काम कर रही है. इसके चलते होमियोपैथी दवाओं से तेज नतीजे सामने आ रहे हैं. पहले लोग यह सोच कर इस पद्धति का सहारा नहीं लेते थे कि बीमारी के निदान में समय लगेगा. लेकिन, अब माहौल बदल गया है. होमियोपैथी क्लिनिकों पर अंगरेजी दवाओं या अन्य पद्धतियों से इलाज करा कर थक चुके मरीजों की तादाद बढ़ रही है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक छत के नीचे कई बीमारियों का इलाज संभव है. यानी अलग-अलग विशेषज्ञों के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती. पेट, छाती, लीवर, बीपी, सर्दी-जुकाम, गठिया व जोड़ों का दर्द या कोई अन्य बीमारी हो, सबका इलाज एक जगह से हो सकता है, वह भी कम पैसों में. जांच व टेस्ट का झंझट भी कम.