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Friday, March 29, 2024

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बुजुर्गो की आंखों का तारा बनीं सोंधी की प्रमीला

मानपुर: गया जिले के मानपुर स्थित शादीपुर पंचायत के सोंधी गांव की रहनेवाली प्रमीला देवी सैकड़ों-हजारों दूसरी महिलाओं से अलग हैं. उनके कामकाज, आचार, विचार व व्यवहार ने उन्हें बाकी लोगों से अलग पहचान दिलायी है. अपनी कर्मठता व अतुलनीय सेवा भाव के चलते वह अपने परिवार, गांव व समाज के लोगों की नजर में […]

मानपुर: गया जिले के मानपुर स्थित शादीपुर पंचायत के सोंधी गांव की रहनेवाली प्रमीला देवी सैकड़ों-हजारों दूसरी महिलाओं से अलग हैं. उनके कामकाज, आचार, विचार व व्यवहार ने उन्हें बाकी लोगों से अलग पहचान दिलायी है. अपनी कर्मठता व अतुलनीय सेवा भाव के चलते वह अपने परिवार, गांव व समाज के लोगों की नजर में काफी सम्मानित जगह हासिल कर चुकी हैं. पास-पड़ोस में रहनेवाले बूढ़े-बुजुर्गो ने उन्हें आदर्श बहू का तमगा दिया है. विगत शुक्रवार को सोंधी में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें वहां के बुजुर्गो ने सम्मानित भी किया है.

प्रमीला को जाननेवाले बुजुर्ग बताते हैं कि वह अपने बूढ़े सास-सुसर की देखरेख में जिस तन्मयता से लगी रहती हैं, वह काबिले तारीफ है. उसकी तुलना नहीं है. ऐसा लगता है मानो वह अपने सास-ससुर की बहू नहीं, बेटी हों. वैसे, प्रमीला देवी के स्नेह व सेवा-भावना के मुरीद हो चुके उनके सास-ससुर तो अपनी बहू की तुलना सीधे अपनी मां तक से भी करते हैं. दरअसल, प्रमीला को ही अपने बूढ़े सास-ससुर की देखरेख करनी होती है. उनके पति सरयू मिस्त्री रोजगार के सिलसिले में बाहर रहते हैं. उनकी अनुपस्थिति में भी उनके माता-पिता की जिस सेवा भावना के साथ प्रमीला देखरेख करती हैं, वह उन्हें बरबस ही आसपास के दूसरे लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है. इस सेवा भावना का असर ऐसा कि यह गृहवधू आज उन्हें जाननेवाले तमाम लोगों की दृष्टि में सम्मानपूर्ण जगह पा चुकी हैं. उल्लेखनीय है कि स्वाधीनता दिवस के अवसर पर विगत शुक्रवार को सोंधी गांव में वयोवृद्ध नागरिकों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आये लगभग हर वक्ता ने प्रमीला की कार्यशैली व सेवा भावना का जम कर गुणगान किया. इस उम्मीद के साथ कि समाज का हर व्यक्ति प्रमीला देवी से सीख लेकर अपने बूढ़े-बुजुर्गो के प्रति अपने पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों को न केवल समङोगा, बल्कि उनका शत-प्रतिशत निर्वहन भी करेगा.

लोग बताते हैं कि प्रमीला के लिए केवल उनके अपने सास-ससुर ही महत्वपूर्ण हों, ऐसा भी नहीं. वह अपने घर के पास-पड़ोस में रहनेवाले तमाम बुजुर्गो का ध्यान रखने के साथ ही उनके प्रति स्नेहपूर्ण व्यवहार के लिए जानी जाती हैं. सोंधी के ही रहनेवाले रामकृत सिंह मानते हैं कि प्रमीला जैसी बहुएं ही घर-परिवार, गांव व समाज बदल सकती हैं. ऐसे लोग एक साथ सक्रिय हो जायें, तो देश में चलते ढेर सारे वृद्धाश्रम अप्रासंगिक हो जायेंगे, बंद हो जायेंगे. इसी गांव के रमाकांत शर्मा कहते हैं कि प्रमीला बेमिसाल हैं. उनके मुताबिक, वह हर बुजुर्ग की मदद के लिए सर्वदा तैयार रहती हैं. शादीपुर पंचायत के पूर्व मुखिया अरविंद प्रसाद कहते हैं, ‘बहू हो तो प्रमीला देवी जैसी. बूढ़े-बुजुर्गो के प्रति बेटे-बहू की जिम्मेवारी चीज क्या है, यह कोई उनसे सीखे.’

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