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चार सिविल सजर्न जांच के घेरे में

गया: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बोधगया में 2,94,62,693 रुपये गबन के मामले में 2011 से 2014 के बीच रहे सभी चार सिविल सजर्न जांच के घेरे में हैं. उन पर गबन में संलिप्त होने व संरक्षण प्रदान करने का आरोप है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशिष्ट दल से यदि गहन जांच करायी गयी, तो सभी के […]

गया: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बोधगया में 2,94,62,693 रुपये गबन के मामले में 2011 से 2014 के बीच रहे सभी चार सिविल सजर्न जांच के घेरे में हैं. उन पर गबन में संलिप्त होने व संरक्षण प्रदान करने का आरोप है.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशिष्ट दल से यदि गहन जांच करायी गयी, तो सभी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई संभव है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मगध प्रमंडल के क्षेत्रीय उपनिदेशक, स्वास्थ्य (आरडीडीएच) डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इस मामले की जांच विशिष्ट जांच दल से करा कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. यह अनुरोध राज्य स्वास्थ्य समिति के वित्त प्रबंधक के निर्देशानुसार क्षेत्रीय लेखा प्रबंधक व आरडीडीएच कार्यालय के सहयोग से गत 16 जुलाई को पीएचसी बोधगया के लेखा की जांच के बाद 2,94,62,693 रुपये गबन का मामला सामने आने के बाद की है.

फर्जी पत्र पर दिया गया आवंटन : सिविल सजर्न कार्यालय द्वारा वित्त वर्ष 2011-12 में फर्जी मांग पत्र पर बोधगया पीएचसी को 99 लाख रुपये से अधिक का आवंटन दिया गया. तब डॉ दिलीप कुमार सिविल सजर्न थे. इसी प्रकार 2012-13 में फर्जी पत्र पर 44 लाख रुपये से अधिक का आवंटन दिया गया. तब सिविल सजर्न डॉ कृष्ण बल्लभ प्रसाद सिंह थे. जांच अधिकारियों का मानना है कि आवंटन नहीं दिया जाता, तो एक करोड़ 14 लाख से अधिक रुपये बच जाते. समझा जाता है कि जानबूझ कर आवंटन मुहैया कराया गया है. क्योंकि, सिविल सजर्न कार्यालय इस बात से अवगत होते हैं कि किस पीएचसी को कितने आवंटन की आवश्यकता है. फिर, किस परिस्थिति में आंख बंद कर इतना अधिक आवंटन मुहैया कराया गया?

दोषियों पर नहीं हुई कार्रवाई
बोधगया पीएचसी में 25,43,866 रुपये गबन होने का खुलासा उस समय के सिविल सजर्न डॉ विजय कुमार सिंह द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने गत 17 फरवरी को ही की थी. पर, सिविल सजर्न स्तर से अब तक किसी प्रकार की विभागीय कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि, पीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा आठ मार्च, 11 मार्च, 22 अप्रैल, 13 मई व 23 जून को पत्र लिख कर सिविल सजर्न से दोषियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई के लिए मार्गदर्शन की मांग की जाती रही है. पर, सिविल सजर्न डॉ विजय कुमार सिंह ने मार्गदर्शन देने के बजाय अनावश्यक पत्रचार कर दोषियों को बचाने का काम किया.

गबन के मुख्य आरोपित व अनधिकृत रूप से आठ माह से फरार लिपिक मुकेश कुमार सिंह का ट्रांसफर सिविल सजर्न डॉ अरविंद कुमार ने नियम के विरुद्ध अनुमंडलीय अस्पताल शेरघाटी कर दिया. हालांकि, बाद में आरडीडीएच के दबाव में ट्रांसफर रद्द कर दिया गया. बोधगया के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उदय नारायण सिन्हा द्वारा दोषी कर्मियों के विरुद्ध बोधगया थाने में सरकारी राशि के गबन की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है, जिसमें डॉ बीके वर्मा, लिपिक राम लखन पासवान व लिपिक मुकेश कुमार सिंह नामजद आरोपित बनाया गया है. बावजूद निलंबन आदि विभागीय कार्रवाई अब तक नहीं की गयी है.

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