फणीश्वरनाथ रेणु जिन्हें स्वर्गीय कह कर हम उनके व्यक्तित्व को समाप्त नहीं मान सकते हैं, क्योंकि आज उनकी 103 वीं जयंती ना केवल बिहार मना रहा है, बल्कि वह पूरे विश्व में याद किये जायेंगे. रेणु के नाम मात्र से ही बिहार की माटी पवित्र ही नहीं, अमर हो जाती है. रेणु जन लेखक तो थे ही, साथ ही उनका करिश्माई व्यक्तित्व भी लोगों को अपनी अकर्षित करता था. शायद यही वह वजह है कि वाराणसी से पटना के कॉफी हाऊस तक रेणु काफी फेमस थे.
पटना के कॉफी हाउस में रेणु की यादें
वाराणसी में रेणु अपनी दूसरी उपन्यास परती परिकथा लिख रहे रहे थे. जब वह गली में निकलते, तो उस गली के घर की सारी खिडकियों से औरतें रेणु को जी भर देखा करती थीं. पटना के डाकबंगला चौराहा पर बेहद फेमस है कॉफी हाउस. इसका इतिहास कई दिग्गज चेहरों की यादों को अपने साथ जोड़कर रखा है. इनमें एक नाम साहित्य जगत के दिग्गज फणीश्वरनाथ रेणु का भी है.
रेणु कार्नर में टेबल बुक रहता था
70 के दशक में पटना के कॉफी हाऊस में रेणु के लिए कोने में एक टेबल रिजर्व हुआ करती थी. इसका नाम रेणु के प्रेमियों ने बडे प्यार से "रेणु कार्नर" रखा था. जब भी वो यहां आते तो इसी टेबुल पर बैठते थे. रेणु सभी से बड़े प्यार से मिलते और अपना आटोग्राफ भी देते थे. उनकी यादें यहां लोगों को खींचकर लाती है.
रेणु बिहार के सिरमौर
इस कॉफी हाउस में वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आते रहे हैं. वहीं बड़े-बड़े सियासी दिग्गजों की यादें यहां कैद है. मैला आंचल, कितने चौराहे, ऋणजल-धनजल, परती-परिकथा आदि पुस्तकों की रचना करने वाले कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु का योगदान देश और साहित्य के लिए जितना है उतना ही बिहार के मस्तक को ऊंचा करने में भी. पटना से रेणु का विशेष लगाव रहा है. आज उनकी 103 वीं जयंती पर सभी रेणु को स्मरण कर रहे हैं.
Published By: Thakur Shaktilochan