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बिहार में जब गांधी को सुरक्षा देने से सरकार ने कर दिया था इनकार, जानें किसने ली थी सुरक्षा की जिम्मेदारी

गांधी के इस बयान का विरोध वामपंथ और हिंदूवादी संगठनों ने संयुक्ति रूप से किया था. यहां तक कि कांग्रेस का एक वर्ग भी गांधी के विरोध में खड़ा हो गया था. बिहार के कई हिस्सों में गांधी का उग्र विरोध हुआ था.

दरभंगा. 15 जनवरी, 1934 में भीषण भूकंप के बाद बिहार दौरे पर आये महात्मा गांधी को बिहार में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. महात्मा गांधी अपने बिहार प्रवास के दौरान भूकंप के पीछे छुआछूत जैसे पाप को कारण बता दिया था. गांधी ने कहा था कि भगवान ने हमें ऐसे पाप के लिए चेतावनी दी है. गांधी के इस बयान का विरोध वामपंथ और हिंदूवादी संगठनों ने संयुक्ति रूप से किया था. यहां तक कि कांग्रेस का एक वर्ग भी गांधी के विरोध में खड़ा हो गया था. बिहार के कई हिस्सों में गांधी का उग्र विरोध हुआ था. पटना और मुंगेर में उन्हें काला झंडा तक दिखाया गया था. ऐसे में जब बिहार के तत्कालीन गवर्नर ने महात्मा गांधी के दरभंगा आगमन का हस्तलिखित कार्यक्रम जिला प्रशासन को भेजा, तो दरभंगा के कलक्टर ने गांधी की सुरक्षा को एक बड़ी चुनौती बतायी. उन्होंने यह कहते हुए कि बिहार के अन्य हिस्सों में महात्मा गांधी के उग्र विरोध के मद्देनजर समुचित सुरक्षा संभव नहीं है, हाथ खड़े कर दिये. कलक्टर ने गांधी को दरभंगा प्रवास की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया.

गांधी को रोका जाना आपकी प्रशासनिक विफलता, हमारी नहीं 

जानकार बताते हैं कि कलक्टर की ओर से लगाये गये प्रतिबंध की जानकारी गांधी ने संदेश के माध्यम से महाराजा कामेश्वर सिंह तक पहुंचायी. महलों के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण रामबाग में छोटे से टेंट में रह रहे कामेश्वर सिंह ने जिलाधिकारी को तलब किया. जिलाधिकारी ने साफ कह दिया कि जिले की हालत गंभीर है. पुलिस बल गांवों में बिखड़ी पड़ी संपत्ति की सुरक्षा और राहत कामों में लगी है. गांधी का विरोध मुंगेर और पटना में हो चुका है. हम गांधी की सुरक्षा नहीं कर पायेंगे. कामेश्वर सिंह ने जिलाधिकारी से कहा कि यह तो बहुत ही दुखद स्थिति है. महात्मा गांधी को दरभंगा आने से रोका जाना आपकी प्रशासनिक विफलता है, हमारी नहीं. हम गांधी की यात्रा सुनिश्चित करेंगे. जिलाधिकारी ने कहा कि यह अपकी जिम्मेदारी होगी, हम यथासंभव सहयोग करेंगे.

पोलो मैदान में हुई थी सभा, जुटे थे हजारों लोग

इतिहासकार तेजकर झा कहते हैं कि कामेश्वर सिंह ने दरभंगा राज के चीफ मैनेजर डेनबी को गांधी का मुख्य सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किया और उन्हें गांधी के साथ साये की तरह रहने को कहा. इधर, अपने छोटे भाई बाबू विशेश्वर सिंह को प्रोकोटॉल आफिसर नियुक्त किया और गांधी की हर जरुरत को देखने का काम सौंपा. पहले गांधी को बेनीबाद के रास्ते दरभंगा लाने की योजना बनी, लेकिन 30 मार्च को गांधी विशेष ट्रेन से नरगौना टर्मिनल पहुंचे. उन्हें यूरोपियन गेस्ट हाउस में ठहराया गया. अगले दिन पोलो मैदान में सभा हुई. गांधी को सुनने के लिए हजारों की भीड़ आयी. गांधी के बगल में बाबू विशेश्वर सिंह थे, तो पीछे डेनबी खड़े थे. गांधी सुरक्षित दरभंगा से लौट गये. पटना में मीडिया से बात करते हुए गांधी ने कामेश्वर सिंह को अच्छा इंसान और पुत्र समान बताया.

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