Flood in Bihar : दोबारा टूटा बागमती का पूर्वी तटबंध, जानें लोगों ने कैसे की मरम्मत

केवटी प्रखंड के करजापट्टी पंचायत के लाधा में 24 जुलाई को बागमती नदी का पूर्वी तटबंध टूटने के नौ दिन बाद भी बड़की लाधा गांव में हालात सामान्य नहीं हो पायी है. इधर, प्रखंड के करजापट्टी पंचायत के बिरने गांव में शनिवार को दुबारा बागमती नदी का पूर्वी तटबंध टूट गया.

By Ashish Jha | August 2, 2020 9:57 AM

दरभंगा : केवटी प्रखंड के करजापट्टी पंचायत के लाधा में 24 जुलाई को बागमती नदी का पूर्वी तटबंध टूटने के नौ दिन बाद भी बड़की लाधा गांव में हालात सामान्य नहीं हो पायी है. तटबंध की मरम्मत नहीं कराये जाने से नदी का पानी निकल कर पहले से परेशान ग्रामीणों की परेशानी को और बढ़ा रहा है. इधर, प्रखंड के करजापट्टी पंचायत के बिरने गांव में शनिवार को दुबारा बागमती नदी का पूर्वी तटबंध टूट गया. नदी का पानी काफी तेजी से निकल कर गांव में फैलने लगा. इधर तटबंध टूटने की सूचना मिलते ही गांव में हड़कंप मच गया.

देर शाम पूरी हुई तटबंध की मरम्मत

दर्जनों लोग तटबंध से निकल रहे पानी को रोकने व और अधिक कटाव नहीं हो, इसमें जुट गये. ग्रामीण पवन कुमार निराला, प्रहलाद महतो, वसंत कुशवाहा, अंकित महतो, शशिरंजन महतो आदि ने बताया कि नदी से पानी निकलना बंद नहीं हुआ, तो पहले से बाढ़ प्रभावित बिरने गांव पानी में डूब जायेगा. साथ ही यह पानी हरपुर, शीशो पूर्वी, करकौली होते हुए बाजार समिति शिवधारा तक फैल जायेगा. हालांकि इस बीच देर शाम इस तटबंध की मरम्मत करने में ग्रामीण सफल हो गये. बांस-बल्ला के साथ मिट्टी भरी बोरी डाल गांव में फैलते पानी को रोक दिया, लेकिन जिन गांवों में पानी पसर गया, वहां परेशानी भी आरंभ हो गयी है.

नौ दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं

केवटी प्रखंड के करजापट्टी पंचायत के लाधा में 24 जुलाई को बागमती नदी का पूर्वी तटबंध टूटने के नौ दिन बाद भी बड़की लाधा गांव में हालात सामान्य नहीं हो पायी है. तटबंध की मरम्मत नहीं कराये जाने से नदी का पानी निकल कर पहले से परेशान ग्रामीणों की परेशानी को और बढ़ा रहा है. शनिवार को वार्ड 11 की सड़क पर पानी तेजी से दक्षिण से उत्तर की ओर बह रहा था. ग्रामीण अशोक कुमार यादव, गंगा पासवान, उत्तीम मंडल, रमजानी पासवान आदि ने बताया कि करजापट्टी पंचायत के बड़की लाधा गांव का वार्ड नौ, 10, 11 व 12 पूरी तरह बाढ़ की चपेट में है. अधिकांश घर-आंगन में पानी प्रवेश कर गया है. पक्के मकान वाले छतों पर व अन्य लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. कई परिवारों का दिन-रात पानी के बीच या मचान पर कटता है.

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