मेयर-डिप्टी मेयर पद के लिए राजनीति तेज

जोड़-तोड़. पार्षदों को गोलबंद करने में जुटे किंगमेकर, अपने पक्ष में करने की कोशिश में नेता दरभंगा : निगम के वार्ड पार्षद चुनाव से कहीं अधिक चर्चित मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव होता है. दलीय आधार पर नहीं होने वाला वार्ड पार्षद का चुनाव मेयर पद पर पहुंचते ही राजनीतिक बन जाता है. इस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 25, 2017 5:21 AM

जोड़-तोड़. पार्षदों को गोलबंद करने में जुटे किंगमेकर, अपने पक्ष में करने की कोशिश में नेता

दरभंगा : निगम के वार्ड पार्षद चुनाव से कहीं अधिक चर्चित मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव होता है. दलीय आधार पर नहीं होने वाला वार्ड पार्षद का चुनाव मेयर पद पर पहुंचते ही राजनीतिक बन जाता है. इस बार भी इसको लेकर सियासी दांवपेंच शुरू हो गये हैं. एक तरफ महागंठबंधन है तो दूसरी ओर भाजपा. दोनों अपने-अपने दांव चलने शुरू कर दिये हैं. महागंठबंधन से पूर्व महापौर सह राजद नेता ओम प्रकाश खेड़िया जहां लीड कर रहे हैं,
वहीं भाजपा की ओर से नगर विधायक संजय सरावगी ने नेतृत्व की कमान संभाल ली है. हालांकि खुलकर दोनों में से कोई अभी सामने नहीं आ रहे हैं न ही मुंह ही खोल रहे हैं, लेकिन दोनों की कोशिश तेज हो गयी है. लगातार दो पंचवर्षीय तक भाजपा का इस पद पर कब्जा रहा. लिहाजा बीजेपी की कोशिश इस कब्जे को बरकरार रखने की है. वहीं महागंठबंधन फिर से काबिज होने के लिए प्रयासरत है.
इसे लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. प्रत्यक्ष रूप से बैठक तो नहीं हो रही, लेकिन व्यक्तिगत रूप से इसके लिए भेंट-मुलाकात की जा रही है. टेलीफोन के माध्यम से जहां पार्षदों को रिझाया जा रही है वहीं उनके घर जाकर अपने पक्ष में करने की कोशिश भी तेज हो गयी है. इधर सूत्रों की मानें तो बुधवार की शाम लहेरियासराय में भाजपा के जिला पदाधिकारियों की बैठक हुई. संगठनात्मक चर्चा के बाद मेयर व डिप्टी मेयर पद को लेकर गंभीर मंथन हुआ. इस दौरान पार्टी का अंदरूनी विवाद भी संगठन महामंत्री के सामने आया. उल्लेखनीय है कि शहरी विधानसभा से भाजपा के नगर विधायक संजय सरावगी हैं. पूरा निगम क्षेत्र उनके अधीन आता है. फलत: इसमें उनकी भूमिका व दिलचस्पी स्वत: बड़ी हो जाती है. हालांकि अभी तक इस मुद्दे पर न तो पार्टी की ओर से कोई बयान आया है और न कोई पदाधिकारी मुंह खोलने के लिए ही तैयार है.
दूसरी ओर महागंठबंधन भी इसके लिए मैदान में उतर आया है. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो मेयर पद के लिए पार्षद चुनाव होनेसे पहले ही इसकी तैयारी शुरू को गयी थी. जीतने वाले संभावित उम्मीदवारों को पहले से ही गोलबंद करने का प्रयास शुरू हो गया था. हालांकि कई उम्मीदवार बदलाव की बयार में दौर से बाहर हो गये.

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