ट्रेन की छत पर सफर कर रहे यात्री

दरभंगा : जान जोखिम में डालकर रेल यात्री सफर करने के लिए मजबूर हैं. पायदान पर लटक कर यात्रा करने की बात तो आम है, जगह के अभाव में ट्रेन की छत पर भी यात्री सवार हो जाते हैं. इसे लेकर आये दिन अभियान चलता है. ऐसे यात्रियों की धर-पकड़ होती है, लेकिन बुनियादी व्यवस्था […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 4, 2017 8:30 AM
दरभंगा : जान जोखिम में डालकर रेल यात्री सफर करने के लिए मजबूर हैं. पायदान पर लटक कर यात्रा करने की बात तो आम है, जगह के अभाव में ट्रेन की छत पर भी यात्री सवार हो जाते हैं. इसे लेकर आये दिन अभियान चलता है. ऐसे यात्रियों की धर-पकड़ होती है, लेकिन बुनियादी व्यवस्था दुरूस्त नहीं रहने की वजह से यात्री ऐसा करने के लिए मजबूर हैं. यह समस्या सबसे अधिक सीतामढ़ी रेल खंड पर यात्रियों को झेलनी पड़ रही है. रेल प्रशासन के संज्ञान में यह मामला रहने के बावजूद इस ओर कोई तवज्जो नहीं दिया जा रहा. फलत: यात्री की जान सांसत में है.
दरभंगा से समस्तीपुर, बिरौल, जयनगर तथा सीतामढ़ी खंड के लिए गाड़ियां चलती हैं. इन सभी खंडों पर विशेषकर सवारी गाड़ियों को घोर अभाव है. मांग की आधी ट्रेनें भी विभाग मयस्सर नहीं करवा पा रहा है. लिहाजा घंटों इंतजार के बाद भेंड़-बकरियों की तरह ठसाठस भरी बोगियों में सफर करना यात्रियों की नियति से बन गयी है. इसके लिए कई बार आवाज भी उठायी गयी. कई बार हो-हंगामा भी हुआ, आज तक नतीजा सिफर ही रहा, जबकि दरभंगा जंकशन रेलवे का सर्वोच्च दर्जा प्राप्त स्टेशन है. वह भी पूरे समस्तीपुर डिविजन में इकलौता स्टेशन है, जिसने यह ग्रेड हासिल कर रखा है.
सीतामढ़ी खंड पर सबसे अधिक समस्या. यह समस्या मूल रूप से सीतामढ़ी रेल खंड पर सबसे बड़ी है.मालूम हो कि इस खंड पर सवारी गाड़ी की सबसे अधिक समस्या है. इसे लेकर कई बार यात्री हंगामा भी कर चुके हैं. स्टेशन अधीक्षक से लेकर आरपीएफ ने विभाग को इसकी सूचना भी दे रखी है, बावजूद विभाग रेक की कमी का रोना रोती रहती है. सूत्रों की मानें तो इस खंड पर औसतन नित्य 10 से 12 हजार यात्री पैसेंजर ट्रेन से आवागमन करते हैं, लेकिन इस खंड पर सवारी गाड़ी मात्र चार जोरी ही चलती हैं. सुबह पांच बजे 75225 डीएमयू पहली पैसेंजर ट्रेन के रूप में खुलती है. वहीं इसके बाद छह बजे 75207, 10.15 बजे 75229 तथा 11.30 बजे 75255 नंबर की डीएमयू जाती है. इसके बाद शाम 6.40 बजे 75227 डीएमयू अंतिम सवारी गाड़ी के रूप में जंकशन से रवाना होती है. इसमें एक रेक तो महज पांच बोगियों का ही है. स्वाभाविक रूप से यात्रियों को इस वजह से परेशानी होती है.
रेल अधिनियम में सजा का प्रावधान. ट्रेन की छत, इंजन, पायदान या फिर दो बोगियों के बीच बफर पर यात्रा करना कानून अपराध है. रेल अधिनियम की धारा 156 के तहत सजा का प्रावधान है. इसके तहत ऐसा करते पकड़े जाने पर पांच सौ रूपये अर्थदंड या जेल या फिर दोनों सजा हो सकती है. इस संबंध में आरपीएफ इंस्पेक्टर अजय प्रकाश कहते हैं, यात्री ऐसा नहीं करें इसके लिए सख्ती बरती जा रही है. उद्घोषणा के माध्यम से यात्रियों को जागरूक भी किया जाता है. जंकशन पर आनेवाली या फिर यहां से खुलनेवाली गाड़ी में इसे सख्ती से लागू किया गया है.
बोगियों में नहीं मिलती जगह
डीएमयू की रेक में बोगियां पहले की रेक की अपेक्षा काफी कम है. कई सवारी गाड़ी तो महज पांच बोगियों के सहारे ही चल रही है. जाहिर तौर पर यात्रियों को कोच में जगह नहीं मिल पाती. एक सीट पर दो-दो यात्री के बैठने के बावजूद उतने ही यात्री बोगी में खड़े रहते हैं. जब बोगी में खड़े रहने की जगह नहीं मिलती तो यात्री पायदान पर लटकर सफर करते हैं. जिन यात्रियों को पायदान पर जुगाड़ नहीं हो पाता वे ट्रेन की छत पर सवार हो जाते हैं.
हो सकता बड़ा हादसा
पायदान पर लटककर या छत पर सवार होकर सफर करने की वजह से किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. अभी इस खंड पर विद्युतीकरण का कार्य नहीं हुआ है. अभी यह पाइप लाइन में है, बावजूद छत पर चढ़े होने से यात्री किसी भी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं. किसी पेड़ की डाली या फिर किसी पुल के नीचे घटना से इंकार नहीं किया जा सकता. सनद रहे कि करीब नौ साल पूर्व झंझारपुर-लौकहाबाजार खंड पर ट्रेन की खिड़की में साइकिल बांध कर लटकाये जाने की वजह से बड़ा हादसा हो गया था.
जिसमें कई लोगों की जान भी चली गयी थी.
डीएमयू आने से बढ़ी परेशानी
विभाग ने यात्रियों की सुविधा का हवाला देते हुए इस खंड पर डीएमयू सेवा की शुरूआत की. कहा गया कि इसका परिचालन आरंभ होने से यात्रियों के समय की बचत होगी. ससमय वे गणतव्य तक पहुंच सकेंगे. विभाग को भी तकनीकी दृष्टि से कम समय लगेगा. दोनों ओर इंजन होने के कारण अंतिम स्टेशन से वापस इंजन घुमाने में लगनेवाला वक्त बच जायेगा.
उस समय तो यह भी कहा गया था कि इसमें वैक्यूम नहीं हो सकेगा, लेकिन ये सुविधाएं तो नहीं ही मिली, उल्टे परेशानी बढ़ ही गयी. मालूम हो कि रेलवे ने पुराने रेक की जगह डीएमयू रेक दे दिया. इस सेवा के बहाल होने से सवारी गाड़ी की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हो सकी.
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