दरभंगा : खेतों में लगी गेहूं की फसल. खेत का एक कोना सूखा और खाली है. नमी नहीं होने की वजह से यहां बीज पड़ने के बाद भी अंकुरण नहीं हुआ. कुछ पौधे निकले, लेकिन पीले पड़ गये. खेत के जिस हिस्से में नमी रही, वहां फसल अच्छी है.
ये तस्वीर रुपसपुर गांव की है, जहां के रहनेवाले अब्दुलबारी सिद्धीकी है, जो प्रदेश के वित्तमंत्री हैं और शुक्रवार को 2016-2017 का बजट पेश करेंगे. रूपसपुर के ग्रामीण खेतों की स्थिति से ही बजट से गुणा भाग को समझ रहे हैं और अपने रुचि के मुताबिक वित्तमंत्री से उम्मीद लगाये बैठे हैं.
रुपसपुर में स्टेट ट्यूवेल तो है, लेकिन चलता नहीं. वजह ट्यूवेल चलाने के लिए आपरेटर की नियुक्ति नहीं हो सकी है. एक फसल में तीन से चार बार सिंचाई करनी पड़ती है. डेढ़ सौ रुपये प्रति घंटे निजी बोरिंग से सिंचाई करना किसानों के लिए टेढी खीर है. यह हाल सिर्फ रुपसपुर गांव का ही नहीं बल्कि राज्य के लगभग हर जिले के किसानों का है.
किसान राम देव साह डेढ़ बीघा में गेहूं लगा रखा है. खेत ऊसर है, इसलिए उसमें नमी की कमी ज्यादा रहती है. कहते हैं कि निजी बोरिंग से एक घंटा में महज तीन से चार कट्ठा ही पटवन होती है. चाहकर भी समय से सिंचाई संभव नहीं हो पाती. करेंगे भी तो उपज से ज्यादा लागत आ जायेगी. ऐसे में किसानों की पीड़ा को दूर करने का प्रयास वित्तमंत्री को जरूर करना चाहिए.
दूरसंचार विभाग के मैकेनिक पद से सेवानिवृत फकीर पासवान भी उम्मीद लगाये बैठे हैं. वे कहते हैं कि गरीब एवं मध्यम परिवार का वे जरूर ख्याल रखेंगे. शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए गांव में पानी टंकी लगा है. स्टैंड पोस्ट का निर्माण नहीं कराया गया. कभी कभार इसे चालू किया जाता है, जिससे इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाता.
नौंवी की छात्र तन्वी कुमारी कहती है कि गांव में हाई स्कूल पहले नही था. अब मध्य विद्यालय को उत्क्रमित किया गया है. वित्तरहित हाई स्कूल है, तो उसमें छात्र छात्रओं को कुछ सुविधा ही नहीं मिल पाती. वह कहती है कि गरीब छात्रओं को 10वीं तक सरकार को नि:शुल्क किताब भी देनी चाहिए. कुछ इसी तरह की बात छात्र संजू कुमारी एवं पूनम कुमारी ने भी कही.
गांव के युवा प्रमोद साहू कहते हैं कि बजट में रोजगार पर विशेष बल देना चाहिए. काफी संख्या में लोग घर परिवार से दूर परदेश में नौकरी करने के लिए जाते हैं. मनोज गुप्ता को उम्मीद है कि लोगों की आवश्यक आवश्यकता से संबंधित वस्तुओं पर टैक्स में छूट मिलेगी. 70 वर्षीया हमीदा खातून कहती हैं कि वृद्धावस्था पेंशन की जो राशि मिलती है व काफी कम है. इससे वृद्धों का गुजारा नहीं हो पाता. वे उम्मीद करती हैं कि श्री सिद्धिकी वृद्धावस्था पेंशन की राशि जरूर बढायेंगे.
जहूर आलम को उम्मीद है कि गांव में बालिका स्कूल की व्यवस्था होगी. कॉलेज भी निकट में नहीं है. यहां की छात्रओं को 12 किलोमीटर दूर बेनीपुर या फिर चालीस किलोमीटर दूर दरभंगा जाना पड़ता है. प्रखंड प्रमुख शकील अहमद भी इसी गांव के हैं. पूछने पर वे कहते हैं कि बजट आशा के अनुरूप ही आयेगा. मध्यम वर्ग का विशेष ख्याल जरूर वित्त मंत्री रखेंगे.