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प्रशिक्षण का माध्यम है माहे रमजान

रमजान पर विशेषसाल भर जीने का आता है सलीकागरीबों के प्रति दर्शाता है हमदर्दी का जज्बाफोटो- 22परिचय- मौलाना आमिर आजमदरभ्ंागा : शहर के मुहल्ला मुल्लाह हलीम खां मसजिद के इमाम मौलाना आमिर आजम ने कहा है कि रमजान साल के ग्यारह माह बीताने का तरीका सीखाता है. रोजे के दौरान झूठ न बोलना, बेईमानों से […]

रमजान पर विशेषसाल भर जीने का आता है सलीकागरीबों के प्रति दर्शाता है हमदर्दी का जज्बाफोटो- 22परिचय- मौलाना आमिर आजमदरभ्ंागा : शहर के मुहल्ला मुल्लाह हलीम खां मसजिद के इमाम मौलाना आमिर आजम ने कहा है कि रमजान साल के ग्यारह माह बीताने का तरीका सीखाता है. रोजे के दौरान झूठ न बोलना, बेईमानों से बचना, अश्लील बातों से परहेज करने की नसीहत पर व्यक्ति साल भर अमल करता रहेगा. यह एक ढंग की ट्रेनिंग है जो लोगों को बताता है कि भूखे लोग भोजन को कैसे तरसते हैं. प्यास लगने पर शरीर में कैसी तड़प उत्पन्न होती है. रोजेदार 16-17 घंटे में जो अनुभव करते हैं. वह उसे गरीबों की भावना से भी अवगत कराता है. रमजान में रोजे के दौरान अल्लाह ने हर उन चीजों से मना किया है, जो सामान्य दिनों में उसके लिए वैध बनाया है. यह माह अल्लाह के प्रति समर्पण दर्शाने का माह है. इसी के तहत लोग दिन में रोजा रखते है. बुरी बातों को सुनने से बचते हैं और बुरे कर्मों से परहेज करते हैं. अल्लाह ने भी कहा है कि रोजेदार हमारा मेहमान है और इसका बदला मैं ही दूंगा. इतना ही नहीं रोजेदारों को इफ्तार कराने पर पुण्य दिया गया है. किसी रोजेदार को एक खजूर या एक ग्लास पानी से कोई इफ्तार कराये तो उसके लिए भी बहुत शबाब है और इससे रोजेदार का शबाब कहीं पर घटता नहीं है. रमजान का भी यही संदेश है कि लोगों में बेहतर जीवन जीने का सलीका उत्पन्न किया जाय, जिससे कि लोग गरीबों, मजबूरों और बेसहारा की मदद को आपस में मेलजोल बढ़ाने और बिना एक दूसरे को नुकसान पहुंचाये आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करें.

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