मरीजों का टोटा, गायब रहते चिकित्सक व कर्मी दरभंगा. डीएमसीएच का संध्याकालीन क्लिनिक महज दिखावे के लिए चल रहा है. न तो क्लिनिक के समय पर चिकित्सक ही रहते हैं और न ही कर्मी. मरीजों की उपस्थिति तो नगण्य है. बता दें कि लगभग एक वर्ष पूर्व तत्कालीन प्राचार्य सह अधीक्षक डॉ एसएन सिन्हा के कार्यकाल में ताम-झाम के साथ इसकी शुरुआत की गयी थी. इसके शुरुआत होने का उद्देश्य मरीजों को बेहतर चिकित्सा मुहैया कराना था. जानकारी के अनुसार संध्याकालीन क्लिनिक में वरीय नागरिक तथा विकलांग चिकित्सकीय सुविधा प्राप्त कर सकते हैं. सामान्य लोगों के लिए इसकी सुविधा उपलब्ध नहीं है. बताया जाता है कि शुरुआती दिनों में इसका समय दोपहर 3.30 से संध्या 5.30 बजे तक रखा गया था. इन दिनों इसके समय में परिवर्तन कर दिया गया है. इसे एक घंटा पूर्व 2.30 से 4.30 बजे किया गया है. जानकारों की मानें तो अब तो कई विभाग खुलते भी नहीं हैं. विभाग के दरवाजे पर ताला लटका रहता है. लोगों का कहना है क इसका समुचित लाभ तब होगा जब इसे सामान्य लोगों के लिए भी शुरू किया जाये. डीएमसीएच में दूर-दराज के मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. अगर किसी कारण मरीज पहले शिफ्ट में नहीं पहुंच पाये और संध्याकालीन क्लिनिक में चिकित्सकों से परामर्श लेने की सुविधा हो तो अपना इलाज करा सकते हैं. इससे मरीजों को लाभ मिलेगा, वहीं संध्याकालीन क्लिनिक का प्रयोग सार्थक होगा.
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महज नाम के लिए चल रहा संध्याकालीन क्लिनिक
मरीजों का टोटा, गायब रहते चिकित्सक व कर्मी दरभंगा. डीएमसीएच का संध्याकालीन क्लिनिक महज दिखावे के लिए चल रहा है. न तो क्लिनिक के समय पर चिकित्सक ही रहते हैं और न ही कर्मी. मरीजों की उपस्थिति तो नगण्य है. बता दें कि लगभग एक वर्ष पूर्व तत्कालीन प्राचार्य सह अधीक्षक डॉ एसएन सिन्हा के […]
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