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स्लाइन का पानी मिलाकर लगाया इंजेक्शन, मरीजों की हालत बिगड़ी

लापरवाही से खतरे में जान, अस्पताल में इंजेक्शन का पानी नहीं दरभंगा : डीएमसीएच में मरीजों के लिए वाटर फॉर इंजेक्शन नहीं है. नर्सो को इंजेक्शन के लिए विकल्प का सहारा लेना पड़ता है. विशेषज्ञों की मानें तो एक दिन पूर्व इंजेक्शन लेने के बाद मरीजों की हालत बिगड़ने वाले मामले इसी से जुड़े हो […]

लापरवाही से खतरे में जान, अस्पताल में इंजेक्शन का पानी नहीं
दरभंगा : डीएमसीएच में मरीजों के लिए वाटर फॉर इंजेक्शन नहीं है. नर्सो को इंजेक्शन के लिए विकल्प का सहारा लेना पड़ता है. विशेषज्ञों की मानें तो एक दिन पूर्व इंजेक्शन लेने के बाद मरीजों की हालत बिगड़ने वाले मामले इसी से जुड़े हो सकते हैं.इस प्रकरण में डीएमसीएच में कई नये तथ्य उभरकर सामने आये हैं. सत्य तो जांच के बाद सामने आयेगा.
रविवार को सबसे रोचक पहलू यह सामने आया कि आर्थो विभाग के डॉ लालजी चौधरी के यूनिट में भर्ती मरीजों को अलग-अलग कम्पोजिशन की इंजेक्शन दी गयी. किसी मरीज को सेफ्ट्रेक्शन (1 ग्राम) की इंजेक्शन दिया गया.
कई को पीपरासिलीन व टेजोबेक्टम कम्पोजिशन की दवा दी गयी. कई चिकित्सकों का कहना है कि कोई एक कम्पोजिशन की सूई रियेक्शन कर सकती है. सभी कम्पोजिशन के इंजेक्शन देने से मरीजो ंकी तबियत कैसे खराब हो सकती है. सभी अलग-अलग कंपनियों की दवा है.
एक ओर यह भी कहा जा रहा है कि अगर इंजेक्शन देने क बाद मरीजों की हालत बिगड़ी तो जब प्रथम दिन जब इंजेक्शन दिया गया तो उस दिन इनकी तबियत क्यों नहीं खराब हुई.
विशेषज्ञों की मानें तो एंटीबायोटिक का डोज कम से कम पांच से सात दिन होता है. भर्ती मरीजों में कई मरीजों को 26 मई से तो किसी को 28 मई से सूई दिया जा रहा है. जानकारों के अनुसार अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाये तभी सही तथ्य सामने आ पायेंगे. बता दें कि डीएमसीएच के आर्थो विभाग के डॉ लालजी चौधरी यूनिट में भर्ती मरीजों को शनिवार की सुबह लगभग 10 बजे इंजेक्शन देने के बाद हालत बिगड़ने लगी.
कई मरीज तो बेहोश हो गये, वहीं कई की हालत नाजुक हो गयी. तत्काल एवील तथा डेक्सोना देने के बाद मरीजों की हालत सुधार आया.
इंजेक्शन देकर बचायी गयी जान
मरीजों की हालत बिगड़ने के बाद एभील तथा डेक्सोना की सूई देने के बाद मरीजों को राहत मिल सका. परिजनों का कहना था कि दोनों इंजेक्शन भी उन्हें बाहर से खरीदना पड़ा.
की जा रही खानापूर्ति
चिकित्सकों द्वारा शनिवार की संध्या से सेफ्ट्रेक्शन (1 ग्राम) तथा सेफ्ट्रेक्शन व टेजोबेक्टम कम्पोजिशन की इंजेक्शन बंद कर ऐसे सभी मरीजों को पीपरासीलीन व टेजोबेक्टम कम्पोजिशन की सूई शुरू कर दिया गया है.

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