बेनीपुर . बिना पद सृजन के सरकार द्वारा मिलनेवाले अनुदान महाविद्यालय को नहीं दिये जाने क ी कुलपति द्वारा दो टूक घोषणा ने अयाची मिथिला महिला महाविद्यालय बहेड़ा में दशकों से कार्यरत शिक्षक एवं कर्मियों की बेचैनी बढ़ा दिया है. ज्ञात हो कि उक्त महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1980 में किया गया था. महाविद्यालय को विश्वविद्यालय द्वारा 47 विषयों का संबंधन प्राप्त है, जिसमें करीब 125 शिक्षक एवं लगभग इतने ही कर्मी कार्यरत हैं. मजे की बात तो यह है कि स्थापना के 35 वर्ष बीत जाने के बाद अबतक विश्वविद्यालय एवं राज्य सरकार द्वारा एक भी पदों को सृजित क्यों नहीं किया गया. जिस कारण आज वित्त रहित शिक्षानीति समाप्त होने के बाद भी यहां के शिक्षक कर्मी अनुदान की राशि के लिए लालायित हैं. महाविद्यालय के अंगीभूत होने की आश लिए दशकों से कार्यरत शिक्षक व कर्मी अपनी सेहत सुधरने की आस उस समय जगी थी जब सरकार ने वित्तरहित शिक्षा नीति को समाप्त करने की घोषणा की थी. एक बार अनुदान का लाभ भी मिला पर बुधवार को कुलपति द्वारा इस दो टूक घोषणा के बाद इन शिक्षकों व कर्मियों का भविष्य अधर में लटकता नजर आ रहा है. छात्राओं को कु लपति द्वारा सम्मानित किये जाने के समारोह में कई शिक्षकों ने दबी जुबान यह प्रश्न किया कि आखिर यह प्रतिभा किस के बदौलत? करीब साढ़े छह हजार छात्राओं का भविष्य संवारने वाले शिक्षक कुलपति की घोषणा के बाद खुद अपने भविष्य पर लगे इस प्रश्न चिह्न का उत्तर नहीं ढूंढ पा रहे हैं.
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कॉलेज कर्मियों की बेचैनी बढ़ी
बेनीपुर . बिना पद सृजन के सरकार द्वारा मिलनेवाले अनुदान महाविद्यालय को नहीं दिये जाने क ी कुलपति द्वारा दो टूक घोषणा ने अयाची मिथिला महिला महाविद्यालय बहेड़ा में दशकों से कार्यरत शिक्षक एवं कर्मियों की बेचैनी बढ़ा दिया है. ज्ञात हो कि उक्त महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1980 में किया गया था. महाविद्यालय को […]
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