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विभागीय आदेश से मनरेगाकर्मियों में हड़कंप

कमतौल. अब मनरेगाकर्मियों की संविदा रद्द करने या एफआइआर दर्ज करवाने के लिए विभागीय मंजूरी लेना अनिवार्य नहीं होगा़ मनरेगाकर्मियों पर किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई अब सीधे जिलाधिकारी एवं उप विकास आयुक्त सह कार्यक्रम समन्वयक ही कर सकेंगे़ इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग ने पत्र जारी कर दिया है़ 14 मई को जारी […]

कमतौल. अब मनरेगाकर्मियों की संविदा रद्द करने या एफआइआर दर्ज करवाने के लिए विभागीय मंजूरी लेना अनिवार्य नहीं होगा़ मनरेगाकर्मियों पर किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई अब सीधे जिलाधिकारी एवं उप विकास आयुक्त सह कार्यक्रम समन्वयक ही कर सकेंगे़ इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग ने पत्र जारी कर दिया है़ 14 मई को जारी पत्र में विभाग ने दंड निर्धारण एवं अपील निष्पादन की वैधानिक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए पूर्व में निर्गत पत्र को विलोपित करते हुए पत्रांक 8574 दिनांक 22 सितंबर 2009 के आलोक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है़ बता दें कि इससे पहले मनरेगाकर्मियों पर लगाये गए आरोप के संबंध में संपूर्ण साक्ष्य एवं उसकी पूर्ण विवरणी प्रशासी विभाग को भेज कर परामर्श के बाद कार्रवाई की जाती थी़ इधर विभिन्न मांगों को लेकर मनरेगाकर्मी सामूहिक अवकाश, हड़ताल और धरना-प्रदर्शन में लगे हैं़ इसमें पदाधिकारियों द्वारा मनरेगाकर्मियों के शोषण पर लगाम लगाए जाने की मांग भी शामिल है़ इस बीच विभाग ने नया फरमान जारी कर दिया है़ इससे मनरेगाकर्मियों में हड़कंप मच गया है़ जिलाध्यक्ष संजीव कुमार ने इसे विभागीय तुगलकी फरमान करार दिया़ कहा कि पदाधिकारियों को कार्रवाई की खुली छूट देकर विभाग ने अच्छा नहीं किया है़ इससे पदाधिकारियों की मनमानी बढ़ जायेगी़

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