बहेड़ी. पुराने थाना भवन के बगल में अर्द्घ निर्मित मंदिर में पुलिस बूट की जगह गायत्री मंत्र की आवाज गुंजने लगी है. 1985 के आसपास इस मंदिर का निर्माण पुलिस एवं तत्कालीन बीडीओ एनके मिश्रा के सहयोग से शुरू हुआ था. पिलिंथ कंपलीट होते ही श्री मिश्रा का तबादला हो गया. जिसके बाद किसी भी पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी इसे छूने की हिम्मत नहीं की. दस साल बाद समाज के सहयोग से फिर निर्माण कार्य को आगे बढाया गया. जगमोहन सहित गर्भगृह की ढलाई होते ही तत्कालीन बीडीओ एवं थानेदार यहां से रुखसत हो गये.फिर किसी अधिकारी ने गुंबज बना कर मंदिर में हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाये. थाना की खपरैल भवन में जगह के अभाव के कारण पुलिसकर्मियों ने इस अर्द्घनिर्मित मंदिर को अपना बसेरा बना लिया. मिनी अग्निशमन वाहन के चालक भी इसी मंदिर में रहने लगे.जहां पिछल साल उनके बेटे ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. जिसके बाद से पुलिस के जवानों को यह स्थान भूतहा लगने लगा. इस बीच नये बने थाना परिसर में पुलिसकर्मियों के लिए बैरक बन कर तैयार हो गया. मंदिर छोड़ पुलिस के जवानों को बैरक में आ जाने के बाद इस ओर गायत्री समाज के सदस्यों की नजर पड़ी. उन लोगों ने इसमें रंग रोगन कर गायत्री माता की मंदिर का रुप दे दिया है. अब यहां सुबह शाम की आरती की घंटी के साथ, ऊँ र्भूभुव स्व: की जाप से भक्ति की गंगा बहने लगी है.
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पुलिस बूट की जगह गूंजने लगे गायत्री मंत्र के जाप
बहेड़ी. पुराने थाना भवन के बगल में अर्द्घ निर्मित मंदिर में पुलिस बूट की जगह गायत्री मंत्र की आवाज गुंजने लगी है. 1985 के आसपास इस मंदिर का निर्माण पुलिस एवं तत्कालीन बीडीओ एनके मिश्रा के सहयोग से शुरू हुआ था. पिलिंथ कंपलीट होते ही श्री मिश्रा का तबादला हो गया. जिसके बाद किसी भी […]
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