तीन दिवसीय गीता ज्ञान यज्ञ का समापनफोटो : 48परिचय : प्रवचन करते सुब्रामण्यम शास्त्री दरभंगा. भगवान के कर्म को लीला कहते है. जब धरती पर नकारात्मक तत्त्वों की सत्ता कायत होती है और अधर्म के शासन में धर्म रहने को विवश होता है, तब भगवान का अवतार होता है. यह बातें श्रीमद्भगवत गीता ज्ञान प्रचार समिति के गीता मर्मज्ञ सुब्रामण्यम शास्त्री ने कही. स्थानीय गोशाला प्रांगण में आयोजित विराट गीता ज्ञान यज्ञ के तीसरे और अंतिम दिन भगवान के अवसर के उदेद्श्य और गीता के उपदेश पर प्रकाश डालते हुए गीता मर्मज्ञ शास्त्री ने कहा कि गीता में है आदेश, उपदेश और संदेश. अंतिम दिन प्रवचन का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर बनारस से दरभंगा पहुंचे श्री शास्त्री ने किया. शहर के भक्तों ने उन्हें माल्यार्पण कर सम्मानित किया. गोशाला समिति के सचिव विनोद पंसारी ने उन्हें मोमेंटो प्रदान किया. इस मौके पर पारस पंकज ने भक्तिमय गीतों से श्रोताओं का मन मोह लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ इंदिरा झा ने की. मंच संचालन डॉ जयशंकर झा ने किया. अतिथियों का स्वागत सुनील शर्मा ने एवं धन्यवाद ज्ञापित डॉ महानंद ठाकुर ने किया. आयोजन के दौरान कुमारी सोनाली के नृत्य का कार्यक्रम भी हुआ.
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गीता में है संदेश, उपदेश और आदेश : शास्त्री
तीन दिवसीय गीता ज्ञान यज्ञ का समापनफोटो : 48परिचय : प्रवचन करते सुब्रामण्यम शास्त्री दरभंगा. भगवान के कर्म को लीला कहते है. जब धरती पर नकारात्मक तत्त्वों की सत्ता कायत होती है और अधर्म के शासन में धर्म रहने को विवश होता है, तब भगवान का अवतार होता है. यह बातें श्रीमद्भगवत गीता ज्ञान प्रचार […]
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