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ढलने के साथ जवान होती गयी रात

पांचवें अहिल्या गौतम महोत्सव में सुर और ताल का संगम कमतौल. कहते हैं कि भगवान की आराधना में संगीत का उदगम मंदिरों के परिसर में हुआ था. अहियारी उत्तरी पंचायत के अहिल्यास्थान में मनाये जा रहे पांचवें अहिल्या-गौतम महोत्सव के अवसर पर संगीत की सनातन परंपरा को जीवंत करने में कई कलाकर सक्रि य भूमिका […]

पांचवें अहिल्या गौतम महोत्सव में सुर और ताल का संगम कमतौल. कहते हैं कि भगवान की आराधना में संगीत का उदगम मंदिरों के परिसर में हुआ था. अहियारी उत्तरी पंचायत के अहिल्यास्थान में मनाये जा रहे पांचवें अहिल्या-गौतम महोत्सव के अवसर पर संगीत की सनातन परंपरा को जीवंत करने में कई कलाकर सक्रि य भूमिका निभाने को मंच पर आये. दुधिया बल्ब की रोशनी में संगीत के स्वरों और श्रोताओं का तार जुड़ गया. मंगलाचरण के रूप में शंखनाद और भक्ति गायन से अहल्या गौतम महोत्सव का आरंभ हुआ. सांस्कृतिक समारोह में संगीत की शुरु आत सुषमा झा द्वारा गाये जाने वाले गीतों से हुआ. बड़ा सुंदर मिथिला धाम और बड़ा पावन अहिल्या धाम जैसे गीतों से महफिल को मुग्ध कर दिया. वहीं पारस पंकज और दुखी राम के गीतों के लोग कायल हो गए. बजरंग म्यूजिकल ग्रुप के कलाकारों ने रात भर श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया. जैसे-जैसे रात ढलती गयी तालियों से वातावरण गूंजता रहा. कलाकारों का उत्साह परवान चढ़ता रहा. इससे पहले विपिन मिश्रा और अर्जुन झा द्वारा प्रस्तुत शंखनाद और डमरू वादन से वातावरण भक्तिमय हो गया. डॉ ममता ठाकुर द्वारा गाये गए स्वागत गीत की अतिथियों ने भी सराहना की.

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