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Bihar Election 2020: 1990 तक कांग्रेस का गढ़ रहे पश्चिम चंपारण में अब एनडीए का दबदबा, राजद के सामने खाता खोलने की चुनौती…

गणेश वर्मा, बेतिया: जिले की नौ विधानसभा सीटों पर इस बार चुनाव बेहद रोचक होने वाला है. कांग्रेस व राजद (महागठबंधन)को पुराने दिनों के लौटने की आस है तो एनडीए ‘अच्छे’ दिनों के फॉर्मूले को लेकर 2005 वाले परिणाम दोहराने की जुगत में है. सभी सीटों पर तैयारियां जोरों पर हैं. संभावित प्रत्याशी इलाकों में घूम रहे हैं, लेकिन, बेतिया, लौरिया व सिकटा जैसी सीटों पर मुकाबला रोचक है, क्योंकि ये सीटें या तो मौजूदा मंत्रियों की हैं या पूर्व मंत्रियों की रही हैं. फिलहाल तो एक-एक सीट से टिकट के दावेदारों की लंबी-चौड़ी फौज है. नरकटियागंज में ‘इस्टेट’ परिवार के सदस्यों के बीच फिर से भिड़ंत देखने को मिल सकती है.

गणेश वर्मा, बेतिया: जिले की नौ विधानसभा सीटों पर इस बार चुनाव बेहद रोचक होने वाला है. कांग्रेस व राजद (महागठबंधन)को पुराने दिनों के लौटने की आस है तो एनडीए ‘अच्छे’ दिनों के फॉर्मूले को लेकर 2005 वाले परिणाम दोहराने की जुगत में है. सभी सीटों पर तैयारियां जोरों पर हैं. संभावित प्रत्याशी इलाकों में घूम रहे हैं, लेकिन, बेतिया, लौरिया व सिकटा जैसी सीटों पर मुकाबला रोचक है, क्योंकि ये सीटें या तो मौजूदा मंत्रियों की हैं या पूर्व मंत्रियों की रही हैं. फिलहाल तो एक-एक सीट से टिकट के दावेदारों की लंबी-चौड़ी फौज है. नरकटियागंज में ‘इस्टेट’ परिवार के सदस्यों के बीच फिर से भिड़ंत देखने को मिल सकती है.

1990 तक कांग्रेस का गढ़ रहे पश्चिम चंपारण में एनडीए का दबदबा

1990 तक कांग्रेस का गढ़ रहे पश्चिम चंपारण में सीटों के लिहाज से फिलहाल एनडीए का दबदबा है. हालांकि, साल 2000 में यहां जनता दल ने सेंघमारी की थी, लेकिन अपराध की घटनाएं बड़ा मुद्दा बनकर उभरीं और 2005 के नवंबर में संपन्न चुनाव में एनडीए ने जबरदस्त पैठ बनायी, जो अभी तक कायम है. 2015 में हुए चुनाव की बात करें तो कांग्रेस से बेतिया में मदन मोहन तिवारी और नरकटियागंज के विनय वर्मा को छोड़ दें तो अन्य सीटों पर एनडीए ही कायम है. इसमें से सिकटा जदयू यानी मंत्री खुर्शीद आलम के कब्जे में है, जबकि वाल्मीकिनगर के निर्दलीय रिंकू सिंह भी जदयू का दामन थाम चुके हैं. शेष बचे रामनगर, बगहा, लौरिया, चनपटिया व नौतन में भाजपा के विधायक हैं.

राजद के सामने पश्चिम चंपारण में इस बार खाता खोलने की चुनौती

हालांकि , इस बार चुनावी परिदृश्य बदली हुई है. 2015 के मुकाबले इस बार भाजपा के साथ जदयू मजबूती के खड़ा है तो सामने राजद-कांग्रेस की अगुआई वाला महागठबंधन है. राजद के सामने पश्चिम चंपारण में इस बार खाता खोलने की चुनौती है. लिहाजा लौरिया सीट पर राजद के नेताओं की भागदौड़ देखने लायक है. एनडीए में खींचतान कर रही लोजपा की नरकटियागंज सीट पर नजर है, जबकि रालोसपा और जाप जैसी पार्टियाें ने भी चहलकदमी बढ़ा दी है. जाप ने नौतन व वाल्मीकिनगर से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का गृह जिला

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का गृह जिला होने के नाते पश्चिम चंपारण इस बार भाजपा के लिए प्रतिष्ठा से कम नहीं है. लिहाजा भाजपा यहां अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है. हालांकि, भाजपा के बड़े कुनबे के बीच प्रदेश अध्यक्ष के लिए प्रत्याशी चयन किसी चुनौती से कम नहीं है. कारण कि भाजपा की दावेदारी वाली सीटों पर उम्मीदवारों की फेहरिस्त लंबी है.

वाल्मीकिनगर लोकसभा उपचुनाव की भी गहमागहमी

जिले में विधानसभा के साथ-साथ वाल्मीकिनगर लोकसभा का उपचुनाव भी होगा. इसे लेकर पार्टियों के अंदरखाने गहमागहमी है. यहां से जदयू के सांसद रहे बैद्यनाथ प्रसाद महतो का 28 फरवरी, 2020 को निधन हो गया था. इसके बाद से यह सीट खाली है. ऐसे में एनडीए से यहां जदयू का उम्मीदवार तय माना जा रहा है. महागठबंधन ने अभी अपना पत्ता नहीं खोला है. हालांकि, 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पोते शाश्वत केदार कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े थे. इसी बीच जनाधिकार पार्टी के पप्पू यादव ने यहां से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. ऐसे में उप चुनाव दिलचस्प होने वाला है.

Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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