कर्मियों की हड़ताल से सफाई एजेंसी की चांदी
जगह-जगह जमा कचरे को जला रहे हैं लोग शहर में गंदगी के साथ प्रदूषण का खतरा एनजीओ के नाम पर प्रति माह आठ लाख खर्च मोतिहारी : नगर परिषद मोतिहारी क्षेत्र में कर्मियों की एक सप्ताह के अंतराल पर दूसरी बार हड़ताल पर चले जाने के कारण शहर की स्थिति नारकीय हो गयी है. एक […]
जगह-जगह जमा कचरे को जला रहे हैं लोग
शहर में गंदगी के साथ प्रदूषण का खतरा
एनजीओ के नाम पर प्रति माह आठ लाख खर्च
मोतिहारी : नगर परिषद मोतिहारी क्षेत्र में कर्मियों की एक सप्ताह के अंतराल पर दूसरी बार हड़ताल पर चले जाने के कारण शहर की स्थिति नारकीय हो गयी है. एक ओर जिला प्रशासन खेतों में पराली जलाने पर कार्रवाई कर रही है. वही दूसरी ओर शहर में चलाये जा रहे कचरे का कोई ठोस समाधान नहीं ढूंढ रहा है. जगह-जगह जमा कचरा को लोग जला रहे हैं, जिससे भले ही कचरे जल रहे हैं, लेकिन उससे निकले वाला धुआं मानव जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
इधर सवाल उठता है कि नगर परिषद के कर्मचारी अगर हड़ताल पर है, तो डोर-टू-डोर गीला व सूखा कचरा उठाने वाली इनवायरमेंटल सोल्यूशन एजेंसी भी हड़ताल का पारिश्रमिक उठाव कर लाभ अर्जित कर रही है. क्योंकि, शहर के अधिकांश वार्डों में सफाई एजेंसी का कचरा उठाव नहीं हो रहा है, इन्हें प्रतिमाह 8 से 10 लाख रुपये कचरा उठाव में मिलता है. ऐसे में घर के गीले कचरों को भी लोग बदबू का बड़ा कारण बन रहा है.
सूत्र के अनुसार सफाई एजेंसी नप के कुछ कर्मियों से कम पारिश्रमिक पर समझौता कर सफाई कर्मी से सूखा व गीला कचरा नप के डस्टबिन में ही उठाव कराती है. क्योंकि, अगर उसका अपना डस्टबिन व मजदूर होते तो इस हड़ताल में डोर-टू-डोर कचरा उठाव प्रभावित नहीं होता है. कुल मिलाकर एजेंसी का कार्य जांच का विषय बन गया है.
इधर, नगर परिषद कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार जारी रहा. सभी कर्मचारियों द्वारा कार्य बहिष्कार के साथ धरना दिया गया.
विदित हो कि राज्य महासंघ द्वारा आयोजित मुख्यमंत्री के समक्ष 14 फरवरी के प्रदर्शन में जिला इकाई नगर परिषद मोतिहारी के कर्मचारियों द्वारा भाग लिया गया. रक्सौल, केसरिया, चकिया, मेहसी, पकड़ीदयाल, ढाका, सुगौली एवं अरेराज के कर्मियों द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन में भाग लिया गया. मुख्यमंत्री व प्रधान सचिव के प्रतिनिधि एवं प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी द्वारा राज्य नेतृत्व से 11 सूत्री मांग पत्र प्राप्त किया गया तथा मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री से बातचीत कराने का आश्वासन दिया गया. देर शाम तक वार्ता नहीं हो पायी.
शनिवार के धरना सभा को भूपेंद्र कुमार लाल, अवधेश ठाकुर, भरत राम, बीर बहादुर सिंह, त्रिलोकी प्रसाद, विकास पासवान, आश महमद अंसारी, संजीव कुमार सिंह, मंजू देवी, माया देवी, सोनू कुमार, सुनील कुमार, प्रफुल्ल चंद्र, कुणाल राज, मो शमीम, सुरेश राम, मुन्ना आलम, विजय साह, नीलम देवी, रेणु देवी, बबीता देवी, पुष्पा देवी, दुलारी देवी, रानी देवी, राजेश, मीर नन्हें आदि ने संबोधित किया.
महापुरुषों की मूर्ति के पास भी कचरे के ढेर : शहर में विभिन्न पथों में गंदगी की बात कौन कहे महापुरुषों की प्रतिमा स्थल भी इससे अछूता नहीं है. सबसे खराब स्थिति शहर के मधुबन चौक स्थित लक्ष्मीबाई की मूर्ति के पास की है, जहां कचरे के बीच जानवर मंडराते रहते हैं. वीर सपूतों के नाम भले ही लोग राजनीतिक संकल्प लेते हों, लेकिन ऐतिहासिक चंपारण के मोतिहारी शहर के लोग महापुरुषों को लोग भूल गये, तभी तो शहर के विभिन्न स्थानों पर स्थापित महापुरुषों की प्रतिमा के पास कचरे का ढेर लगा हुआ है. यह स्थिति गांधी चौक स्थित गांधी टावर के आसपास भी देखी जा सकती है.