एईएस बीमारी से कई अस्पताल प्रभावित है. इस बीमारी से बचाव के लिए राज्य के अति प्रभावित 12 जिले के अस्पतालों में पहले चरण में जहां भी कमियां हैं, उसे पूरा करने की तैयारी शुरू हो चुकी है. इसकी रिपोर्ट 14 मार्च तक सभी जिलों के अस्पतालों मुख्यालय को भेजनी है. इस मामले में अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने इन जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर गैप असेसमेंट कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद संशोधित एसओपी के अनुसार असेसमेंट कार्य शुरू किया गया. पीएचसी, सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच में संशोधित एसओपी के अनुसार दवाओं के साथ ही उपकरणों के अलावा बेड की उपलब्धता, 24 घंटे सात दिन रोस्टर पर चिकित्सक और पारा मेडिकल स्टाफ की तैनाती समेत अन्य कई प्रकार का असेसमेंट किया जायेगा.
केयर इंडिया को असेसमेंट का आदेश
इस पूरे मामले में सिविल सर्जन डॉ. यूसी शर्मा ने बताया कि मुख्यालय के निर्देश पर केयर इंडिया को गैप असेसमेंट कराने का निर्देश दिया गया है. इसमें जहां भी कमियां हैं, उसे पूरा करने को कहा गया है. इसके बाद 14 मार्च तक इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी जायेगी. इसके बाद मुख्यालय के निर्देश के अनुसार एइएस पर काम होगा. वहीं अभी पीएचसी के अलावा सदर अस्पताल में तैयारी चल ही रही है.
बीमारी में मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव
फिलहाल राजधानी पटना, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, सारण, सीवान और गोपालगंज में गैप असेसमेंट का सर्वे किया जा रहा है. गौरतलब है कि इस बीमारी में मस्तिष्क में सूजन आ जाता है. साथ ही कम गंभीर रोगियों में बुखार और सिर में दर्द की शिकायत देखने को मिलती है. जबकि गंभीर स्थिति बाले रोगी मानसिक रूप से विक्षिप्त, कंफ्यूज्ड यानि किंकर्तव्य विमुढ़ वाली स्थिति, चमकी का दौरा पड़ना, अपने आसपास की वस्तुस्थिति का ज्ञान नहीं होना आदि लक्षण हैं.