बचपन से ही नैतिक शिक्षा व संस्कार डालने की जरूरत

बक्सर : इटाढ़ी थाना के कुकुढ़ा गांव के बधार में एक युवती को जलाकर मार दिये जाने की घटना को लेकर लोगों में गुस्सा है. घटना के विरोध में लोग सड़कों पर उतरकर आक्रोश प्रकट कर रहे हैं.आये दिन युवतियों के साथ हो रहा अन्याय के खिलाफ लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अधिकांश […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 6, 2019 7:03 AM

बक्सर : इटाढ़ी थाना के कुकुढ़ा गांव के बधार में एक युवती को जलाकर मार दिये जाने की घटना को लेकर लोगों में गुस्सा है. घटना के विरोध में लोग सड़कों पर उतरकर आक्रोश प्रकट कर रहे हैं.आये दिन युवतियों के साथ हो रहा अन्याय के खिलाफ लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अधिकांश लोगों का कहना है कि समाज में नैतिकता में हो रही गिरावट के कारण इस तरह की घटनाएं घट रही है.

महिलाएं बोलीं, लड़कियों के लिए आत्मरक्षा के उपायों को करना होगा अनिवार्य
इस तरह के जघन्य अपराध के पीछे परिवार के परवरिश का भी असर है. क्योंकि परिवार ही प्रथम पाठशाला है जहां से हम महिला और पुरुष में फर्क करना सीखते हैं. इस वजह से भी हम महिलाओं को हमेशा कमजोर ही समझते हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. हमें महिलाओं को हिम्मत देने की जरूरत है.
सरिता, गृहिणी
लचर कानून व्यवस्था और युवाओं में नशा करने की प्रवृत्ति का तेजी से बढ़ना बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मुख्य कारक है. ऐसे कुकृत्यों को कम करने के लिए पूरे देश मे नैतिक शिक्षा और लड़कियों के लिए आत्मरक्षा के उपायों को अनिवार्य करना होगा.
अमिता कुमारी, शिक्षिका
-एक स्त्री जो पुरुष से बहुत हद तक प्यार करती है. वहीं पुरुष जो किसी का भाई, पिता, दोस्त और पति होता है वह इस हद तक कैसे गिर सकता है. जो महिलाओं के साथ इस तरह का कुकर्म करें. हमें लगता है कि आज के दौर में मनुष्य के अंदर से संवेदना ही समाप्त होती जा रही है.
नूतन राय, व्यवसायी
-हमारे देश में महिलाओं को इंसान समझने के लिए लोग कितना वक्त लगायेंगे ये तो नहीं पता, लेकिन हम बच्चों को अच्छी परवरिश तो दे ही सकते हैं, ताकि वे महिलाओं को कोई वस्तु न समझें. उन्हें बचपन से ही अच्छे संस्कार दें, ताकि वो इधर-उधर से गलत चीजें न सीखें.
वर्षा सिंह, शिक्षिका
-हम किस समाज में रह रहे हैं जहां पर लड़कियों के साथ दरिंदगी हो रहा है. अब तो हमें इस समाज से भी डर लगने लगा है जहां पर लड़कियां सुरक्षित नहीं है. क्या हमें यह भी अधिकार नहीं कि हम खुलेआम घूम सके. हम अपने पसंद के कपड़े पहन सके, अपनी सोच के साथ जी सकें.
सरिता कुमारी, छात्रा, एमए
-जो लोग किसी लड़की के साथ इतना जघन्य अपराध करते हैं. तब वह कुछ नहीं सोचते लेकिन जब उस पर फैसला सुनाना होता है तो इतना हाय तोबा क्यों मचता है. ऐसे लोगों को चिह्नित करके कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि दोबारा ऐसा कुकर्म करने से पहले सौ बार सोचें.
लक्ष्मी कुमारी, छात्रा, बीए
इस तरह का अपराध करने वालों को सीधे फांसी की सजा होनी चाहिए. क्योंकि भारतीय संविधान के अनुसार हमें भी जीने का अधिकार है और पूरी आजादी के साथ जीने का अधिकार है. लड़कियों को बताया जाता है कि लड़कों से दूर रहो अगर यही बात लड़कों को सिखायी जाती कि तुम लड़कियों का इज्जत करो तो शायद ऐसी घटना नहीं घटती. स्वाती प्रिया, छात्रा, बीएससी
दुर्भाग्य है इस देश का जहां पर अपराध को भी मजहब के नाम पर बांटा जाता है. मैं समझती हूं कि अपराध करने वाला ना हिंदू ना मुस्लिम होता है बल्कि हैवान होता है और उस पर कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए, ताकि लड़कियां बिना किसी डर के स्वतंत्रता के साथ रह सकें. जैसा की पुरुष रहता है.
खनक गुप्ता, छात्रा, बीएससी

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