बढ़ रही ऑनलाइन शॉपिंग ने बदला बाजार का मिजाज

बक्सर : दीपावली और धनतेरस को लेकर बाजार की तैयारी शुरू हो गयी है. कपड़ा, सोना और बर्तन दुकानदारों ने ग्राहकों की डिमांड के अनुसार दुकानों को तैयार कर रखा है, लेकिन, विगत दिनों बाढ़, सुखाढ़ और पूर्व से चली आ रही मंदी ने बाजार को चौपट कर रखा है. यह कहना बाजार के व्यवसायियों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 18, 2019 6:15 AM
बक्सर : दीपावली और धनतेरस को लेकर बाजार की तैयारी शुरू हो गयी है. कपड़ा, सोना और बर्तन दुकानदारों ने ग्राहकों की डिमांड के अनुसार दुकानों को तैयार कर रखा है, लेकिन, विगत दिनों बाढ़, सुखाढ़ और पूर्व से चली आ रही मंदी ने बाजार को चौपट कर रखा है. यह कहना बाजार के व्यवसायियों का है. इतना ही नहीं दुकानदार यह भी मानते हैं कि ऑनलाइन मार्केट ने ऑफलाइन मार्केट को तोड़ने की लगातार साजिश रच रहा है.
जिस पर सरकार को कुछ प्रतिबंधों के साथ अंकुश लगाना चाहिए, खरीद बिक्री का ऑनलाइन बाजार गुलजार है. मगर पूंजी लगाकर दुकान खोले दुकानदारों की हालत खराब है. प्रभात खबर के प्रतिनिधि ने इन व्यवसायियों से बाजार की हालात पर बातचीत की. जमुना चौक स्थित राज किशोर ज्वेलर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रो विनय कुमार ने कहा कि मंदी की मार से बाजार जूझ रहा है. गत साल की तरह इस साल भी बाजार में उछाल नहीं है.
हालांकि दीपावली में बाजार गुलजार होने की उम्मीद है. पीपी रोड स्थित इंद्रधनुष वस्त्रालय के प्रोपराइटर रविराज ने कहा कि इस बार बाजार कुछ समझ में नहीं आ रहा है. बाढ़ व सुखाढ़ का असर भी बाजार पर है. यही कारण है कि गांवों के लोग बाजारों में खरीदारी करने कम आ रहे हैं. ठठेरी बाजार के जया ज्वेलर्स के प्रोपराइटर्स सुशील कुमार वर्मा ने बताया कि दस ग्राम सोना की कीमत 38 हजार के पार है.
जबकि चांदी प्रति किलो 46 हजार रुपये से अधिक है, भाव तेज है. शेयर बाजार से लगातार भाव बढ़ रहा है और यहां बाढ़-सुखाड़ और मंदी के कारण लोगों के पास पैसे नहीं है. ऐसे में बाजार पूरी तरह ठप है. लगभग 70 प्रतिशत बाजार में मंदी है. सुशील बताते हैं कि खरवास से भी बुरी स्थिति लग्न में है. ऐसा पहली बार होगा जब दीपावली में पिछला बकाया वापस नहीं मिलेगा.
सोना-चांदी में 70, बरतन में 50 तो कपड़ा व्यवसाय में 35 प्रतिशत तक है मंदी
गांवों से खरीदारी के लिए नहीं आ रहे हैं शहर में लोग
वैश्विक आर्थिक मंदी भी जिम्मेदार
कपड़ा व्यवसायियों की भी हालात पतली है. लोगों की क्रय शक्ति कम हुई है. लगभग 35 प्रतिशत तक सेल और खरीद में कमी आयी है. यह कहना है कपड़ा व्यवसायी अनिल चौरसिया की. वे कहते हैं कि केवल बाढ़ और सुखाढ़ ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि वैश्विक आर्थिक मंदी भी जिम्मेदार है.
15 वर्षों में ऐसी मंदी नहीं आयी थी. वहीं दिनेश कुमार चौरसिया ने कहा कि सरकार की एफडीआइ में सौ प्रतिशत विदेश निवेश का यह असर है क्योंकि बाढ़ और सुखाड़ तो हर बार आता रहा है. सरकार के कारण देश का बाजार और व्यापार प्रभावित है.
बर्तन दुकानदारों की भी स्थिति खराब है. ठठेरी बाजार के रवि कुमार बताते हैं कि इस बार 50 प्रतिशत तक का बाजार ठप है. केवल बक्सर शहरी क्षेत्र में करीब 40 लाख का कारोबार एक दिन के धनतेरस में होता है, लेकिन इस बार यह उम्मीद नहीं दिख रही है. रवि कहते हैं कि सरकार की लापरवाही से ऑनलाइन मार्केट में लगातार इजाफा हो रहा है. जिससे हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रही है.

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