चालीस वर्षों से जलहरा में चला रहा था चाय की दुकान

बक्सर/राजपुर : राजपुर में हुई चाय दुकानदार की हत्या के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी है. मृतक विश्वनाथ साह करीब 40 वर्षों से बक्सर-कोचस मुख्य मार्ग के जलहरा गांव के विद्यालय के पास अपनी चाय की दुकान चलाता था. वही गर्मी, ठंडा और बरसात में भी अपनी दुकान में ही सोता था. उसकी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 19, 2019 7:46 AM

बक्सर/राजपुर : राजपुर में हुई चाय दुकानदार की हत्या के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी है. मृतक विश्वनाथ साह करीब 40 वर्षों से बक्सर-कोचस मुख्य मार्ग के जलहरा गांव के विद्यालय के पास अपनी चाय की दुकान चलाता था. वही गर्मी, ठंडा और बरसात में भी अपनी दुकान में ही सोता था. उसकी चाय की दुकान पूरे इलाके में चर्चित थी. आसपास के लोग भी उसकी दुकान पर चाय पीने आते थे.

वहीं रात में गश्ती की पुलिस को भी वह चाय पिलाता था. सबसे अधिक वह पुलिस वालों को ठंड के दिनों में चाय पिलाता था. जब भी पुलिस रात में गुजरती थी तब पुलिस के जवान उससे मिलते थे. साथ ही पूरे इलाके की जानकारी भी लेते थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि विश्वनाथ साह 40 वर्ष से चाय की दुकान चलाता था. उसकी आज तक किसी से विवाद नहीं हुआ था.
वह दुकान छोड़कर अपने घर भी नहीं जाया करता था. उसके घरवाले उसे खाना लेकर दुकान पर ही आते थे. लेकिन उसकी हत्या किसने की अभी तक किसी को पता नहीं चला है. उसका घर दुकान से करीब 2 किलोमीटर दूरी पर था. वह सालों भर अपनी दुकान पर ही सोता था. पुलिस के जवान भी उसकी रखवाली करते थे.
वहीं सूत्रों ने बताया कि दुकान के पास एक स्कूल है. जहां लड़के और लड़कियां पढ़ती थीं. विश्वनाथ साह ने किसी को गलत काम करते हुए देखा होगा. इसी को लेकर उसकी हत्या की गयी होगी. आज तक उसकी किसी से कोई विवाद नहीं था. वह बहुत ही कर्मठ व्यक्ति था.
आखिर किसने की चाय दुकानदार की हत्या
चाय दुकानदार की मौत के बाद बाजार सहित आसपास के गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया है. लोगों की जुबान पर एक ही बातें आ रही थी की साधारण दुकानदार की हत्या क्यों हुई.
दुकानदार की पत्नी विगत कई वर्ष पहले ही दुनिया छोड़कर चली गयी है. अपने पुत्रों के साथ रह रहे विश्वनाथ साह जलहरा में चाय दुकान चलाकर परिवार का भरण पोषण कर बच्चों का पालन पोषण किया.उनके दो पुत्र हैं बड़ा पुत्र हरिशंकर साह और छोटा पुत्र हरेराम साह है.
जिसमें बड़ा पुत्र हरिशंकर परिवार की आर्थिक हालत को सुधारने के लिए कोलकाता में रहकर प्राइवेट नौकरी करता है. जबकि छोटा पुत्र हरेराम साह श्रीकांतपुर में दुकान चलाने का काम करता है. इनके मौत के बाद परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है. वहीं गांव के लोगों में चर्चा है कि आखिर इस तरह से साधारण जीवन व्यतीत करने वाले दुकानदार की हत्या कैसे हो गयी.

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