पटना में बालू का काला कारोबार: फौजिया और सिपाही गिरोह को जानें, सोन नदी की रेत पर वर्चस्व की लड़ते जंग

बिहार में बालू के काले कारोबार को लेकर फिर एकबार गैंगवार छिड़ा है. पटना के बिहटा में फौजिया और सिपाही गिरोह आमने-सामने हुए और ताबड़तोड़ गोलीबारी की. इसमें फौजिया और सिपाही गिरोह के अपराधियों के टकराने की बात सामने आयी है.

By Prabhat Khabar Print Desk | September 30, 2022 3:33 PM

Bihar Crime News: बिहार में बालू तस्कर बेखौफ होकर अब बालू घाटों पर वर्चस्व की लड़ाई लड़ते हैं. सोन नदी के सुनहरे रेत के काले कारोबार को लेकर पटना के बिहटा में फिर एकबार गैंगवार छिड़ा. बुधवार देर रात को अमनाबाद और सुरौंधा घाट पर बालू के अवैध खनन को लेकर दो गुट आमने-सामने हुए और करीब 6 घंटे तक तोबड़तोड़ फायरिंग की. दोनों ओर से कई लोगों की जानें भी गयी. सोन के बालू पर वर्चस्व को लेकर फौजिया गिरोह और सिपाही गिरोह की लड़ाई काफी पुरानी है.

बालू के धंधे में कब्जे की लड़ाई

जब सोन नदी के सुनहरे रेत के काले कारोबार की बात सामने आएगी तो दो गुटों का नाम हमेसा सामने आता है. फौजिया गुट और सिपाही गुट. बताया जा रहा है कि बुधवार रात को भी बालू घाट पर वर्चस्व को लेकर इन्हीं दो गुटों में गोलीबारी हुई थी. बालू के इस धंधे में यहां कब्जे की लड़ाई में पहले से फौजिया और सिपाही गिरोह ही आमने-सामने होते थे. लेकिन करोड़ों के इस काले कारोबार में अब कुछ और गिरोह सक्रिय हो गये हैं.

अगस्त में भी हुई झड़प

बीते अगस्त में बिहटा के अमनाबाद में ही दोनों गुटों में ताबड़तोड़ फायरिंग हुई थी. जिसमें 15 पोकलेन मशीनें फूंक दी गयी थी. मनेर से लेकर कोइलवर तक का दियारा इलाका बेहद दुर्गम है और इसका लाभ बालू माफियाओं को मिलता है.

गिरोह के पास AK-47 जैसे हथियार

काले कारोबार की कहानी घने अंधेरे रात में अधिक लिखी जाती है. क्योंकि पुलिस भी रात में यहां आने से परहेज करते हैं. बुधवार को हुइ गोलीबारी में जितने खोखे मिले उससे ये मालूम होता है कि इन गिरोह के पास AK-47 जैसे हथियार भी हैं.

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कौन है फौजिया और सिपाही ?

भोजपुर जिले के बड़हरा थाने के फरना निवासी श्रीनिवास सिंह का पुत्र शंकर दयाल सिंह को लोग फौजिया के नाम से जानते थे. जिसकी हत्या बालू घाट पर कब्जे को लेकर हुई गोलीबारी में ही कभी हो गयी. वहीं उमाशंकर सिंह को सिपाही के नाम से जाना जाता है जो पटना के मनेर थाना क्षेत्र की सुअरमरवा पंचायत का मुखिया भी रह चुका है. उमाशंकर सेना में भी रह चुका है. हत्या समेत दर्जनों अपराध के मामले में लिप्त सिपाही को साल भर पहले जेल भेज दिया गया है. लेकिन दोनों गिरोह आज भी सक्रिय हैं.

Published By: Thakur Shaktilochan

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