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Friday, March 29, 2024

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बिहार के 27 शिक्षकों की गयी नौकरी, पौने दो करोड़ वसूलने का कोर्ट ने दिया आदेश, जानिये क्या है मामला

बिहारशरीफ के जिला शिक्षा विभाग में लंबित मामले की सुनावाई करते हुए कोर्ट ने फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने को कहा है.

बिहारशरीफ. बिहार में फर्जी शिक्षकों को लेकर कोर्ट अब सख्त हो गया है. बिहारशरीफ के जिला शिक्षा विभाग में लंबित मामले की सुनावाई करते हुए कोर्ट ने फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने को कहा है. इसी का नतीजा है कि जिले 27 शिक्षकों से वेतन के रूप में लिए गए करीब पौने दो करोड़ रुपये की वसूली का हुक्म जारी हो गया है.

राज्य अपीलीय प्राधिकार के जज ने पहले उन लोगों नौकरी खत्म करने का आदेश दिया और अब लिए गये वेतन की वसूली का फरमान जारी कर दिया है. वह भी थोड़ा-थोड़ा करके नहीं, बल्कि संबंधित शिक्षकों से एकमुश्त राशि वसूली का आदेश दिया गया है. संबंधित शिक्षकों से ली गयी वेतन राशि की वसूली के लिए स्थापना डीपीओ पूनम कुमारी ने बिहारशरीफ के बीडीओ अंजन दत्ता को पत्र लिख कर आदेश दिया है.

डीपीओ ने बताया कि वर्ष 2016 में इन सबों की जिला अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर बहाली हुई थी. इस बहाली के खिलाफ विभाग ने राज्य अपीलीय प्राधिकार का दरवाजा खटखटाया था. उसी के सुनवाई में जज ने पहले उनसबों की बहाली को गलत बताते हुए नौकरी खत्म कर दी. उसके बाद राशि वसूली का आदेश दिया. उन्होंने बताया कि बहाल होने के बाद सभी शिक्षकों को 28 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से एक शिक्षक को करीब चार लाख दिया गया है. सभी को मिलाकर करीब एक करोड़ 80 लाख रुपये होता है. अब उसी राशि की वसूली की जाएगी.

जिन शिक्षकों से यह वसूली होनी हैं उनमें अजय कुमार, निशांत कुमार, रेखा कुमारी, ममता कुमारी, रंजना सिन्हा, रीना कुमारी, श्रवण कुमार, सुलेखा कुमारी, अयोध्या पासवान, जय प्रकाश पासवान, मीसा कुमारी, स्वर्णलता कुमारी, रमेश कुमार, ममता कुमारी, ब्रजेश कुमार, अनिल कुमार, अनामिका कुमारी, शंकर पासवान, सुजीत कुमार, सोनाली कुमारी, उपेंद्र कुमार, मिंटू रविदास, संजीव कुमार, निराला, मुकेश कुमार, संजय पासवान, पुष्पा कुमारी व शांतिभूषण शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि सभी शिक्षक बिहारशरीफ प्रखंड क्षेत्र के स्कूलों में तैनात थे. राज्य अपीलीय प्राधिकार के जज अशोक कुमार सिन्हा ने बहाली के लिए संबंधित अधिकारी को भी दोषी माना है. उसके बाद उनपर कारवाई के लिए डीएम को आदेश दिया था, लेकिन संबंधित अधिकारी हाईकोर्ट की शरण में चले गए हैं. इस कारण मामला अभी जश का तश बना हुआ है.

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