बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने विधान परिषद में एक गैर सरकारी संकल्प के जवाब में दो टूक कहा कि बिहार के सरकारी स्कूलों का कोई भी शिक्षक दस वर्षीय जनगणना, आपदा में सहायता और संसद, विधान मंडल और स्थानीय निकायों के अलावा किसी अन्य गैर शैक्षणिक कार्य में भागीदारी नहीं करेगा. इन तीन काम को छोड़ कर वह अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों से अलग रखे जायेंगे.
तीन विशेष कार्यों को छोड़ कर किसी अन्य कार्य में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं
शिक्षा मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया कि शिक्षा विभाग पहले ही निर्देश दे चुका है कि तीन विशेष कार्यों को छोड़ कर किसी अन्य कार्य में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं होगी. संबंधित गैर सरकारी संकल्प एमएलसी सच्चिदानंद राय लेकर आये थे. उनके संकल्प के दौरान शिक्षा मंत्री ने आरएसएस प्रमुख के एक बयान का जिक्र करते हुए चुटकी ली. उन्होंने कहा कि आरएसस प्रमुख ने हाल ही में कहा था कि शिक्षा और संपत्ति अहम पैदा करती है.
वेतन-अनुदान पर बैठक के बाद होगा निर्णय
वित्त अनुदानित शिक्षण संस्थानों के बकाये और रोके गये वेतन-अनुदान मामले पर वरिष्ठ विधान पार्षद डॉ मदन मोहन झा और डॉ संजीव कुमार सिंह सहित अन्य विधान पार्षदों के साथ शिक्षा मंत्री विमर्श करेंगे. दरअसल सभापति के मार्गदर्शन के बाद शिक्षा मंत्री ने इस पर सहमति दी. दरअसल सदन में विधान पार्षदों ने वेतन अनुदान आदि से जुड़े मसले पर गैर सरकारी संकल्प के जरिये आवाज बुलंद की थी.
डॉ मदन मोहन झा ने मांग रखी...
डॉ मदन मोहन झा ने मांग रखी कि वित्त अनुदानित इंटर,डिग्री कॉलेजों और वित्त अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में सभी बकाया अनुदान का एक मुश्त भुगतान किया जाए. डॉ संजीव कुमार सिंह ने गैर सरकारी संकल्प में कहा कि 2014-16 से रोके गये परीक्षाफल आधारित वेतन अनुदान को शीघ्र जारी किया जाए.
उन्होंने कहा कि पांच से छह सालों से वेतन अनुदान लंबित है. हालांकि, शिक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा कि संबंधित शिक्षण संस्थाओं की स्थायी मान्यता के बाद संबंधित सालों का अनुदान जारी कर दिया जायेगा. इस दौरान वित्त रहित संस्थानों की मांगों को पूरजोर तरीके से उठाया गया.