बिहार में आसान होगा चीनी मिल और बिजली उत्पादन में निवेश, सरकार बना रही प्रोत्साहन पॉलिसी, कैबिनेट की मुहर जल्द

प्रदेश में चीनी मिल, इथेनॉल और सह बिजली उत्पादन प्लांट लगाने में निवेश को प्रोत्साहित करने नयी पॉलिसी लायी जा रही है. इन तीनों क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज बनाया जा रहा है.

By Prabhat Khabar | September 1, 2021 7:41 AM

पटना . प्रदेश में चीनी मिल, इथेनॉल और सह बिजली उत्पादन प्लांट लगाने में निवेश को प्रोत्साहित करने नयी पॉलिसी लायी जा रही है. इन तीनों क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज बनाया जा रहा है.

पैकेज में सबसे खास बात होगी कि गन्ना उद्योग विभाग अपनी निवेश पॉलिसी में उद्योग विभाग की भांति ब्याज की क्षति-पूर्ति को शामिल करेगा गन्ना उत्पादन पैकेज-2014 में यह बातें शामिल नहीं थीं.उद्योग विभाग बतौर ब्याज क्षति-पूर्ति 10 फीसदी तक देता है.

सूत्रों के मुताबिक आकर्षक प्रोत्साहन पैकेज बहुत जल्दी कैबिनेट में लाया जायेगा. पैकेज में अचल पूंजी निवेश पर पूंजी अनुदान को बढ़ाने का विचार है. वर्तमान में अचल पूंजी निवेश पर 20 फीसदी पूंजी अनुदान या अधिकतम 15 करोड़ की राशि में जो कम हो देय है.

अब अनुदान को 25 फीसदी करने पर विचार चल रहा है. नयी नीति में दिये जाने वाले अनुदान/छूट /प्रतिपूर्ति न्यूनतम 2500 टन क्रसिंग प्रतिदिन पर देय है. नये पैकेज में यह छूट 3500 टन क्रसिंग प्रति दिन की जा सकती है.

पॉलिसी बनाने के लिए गन्ना उद्योग विभाग कर रहा विशेष अध्ययन

जानकारों के मुताबिक पॉलिसी बनाने के लिए गन्ना उद्योग विभाग , बिहार की औद्योगिक निवेश पॉलिसी का विशेष अध्ययन कर रहा है. गन्ना उद्योग विभाग इथेनॉल उत्पाउन के लिए शीरा आधारित पॉलिसी पर अडिग रहेगा. जबकि उद्योग विभाग की इथेनॉल उत्पादन पॉलिसी ग्रेन आधारित है. हालांकि गन्ना विभाग औद्योगिक पाॅलिसी में निवेश प्रोत्साहन संबंधी अधिकतर तकनीकी पहलू को अपनी पॉलिसी में समाहित करेगा.

वर्तमान में बिहार की दस चीनी मिलों में सिधवलिया, बघा चीनी मिल, हरिनगर, लौरिया,सगौली,रीगा, नरकटियागंज और मझौलिया में इथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि रीगा मिल इथेनॉल उत्पादन करने की इच्छुक दिख रही है.

उल्लेखनीय है कि गुड़ उद्योग को प्रोत्साहन करने के लिए भी गन्ना उद्योग विभाग विशेष प्राेत्साहन पैकेज तैयार कर रहा है. चूंकि अधिकतर चीनी उत्पादक राज्यों ने अपनी पाॅलिसी में कम ज्यादा संशोधन या सुधार किये हैं.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version