बिहार: गया के पूर्व डीएफओ और अधिकारी गटक गए 3.34 करोड़, विशेष टीम ने सौंपी जांच रिपोर्ट

गया के तत्कालीन डीएफओ सहित अन्य वन अधिकारियों पर वित्तीय अनियमितता सहित गबन के आरोप लगे हैं. मामले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की विशेष समिति अंतिम जांच रिपोर्ट 16 नवंबर, 2021 को सौंप दी है.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 3, 2023 9:31 AM

गया के तत्कालीन डीएफओ सहित अन्य वन अधिकारियों पर वित्तीय अनियमितता सहित गबन के आरोप लगे हैं. मामले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की विशेष समिति अंतिम जांच रिपोर्ट 16 नवंबर, 2021 को सौंप दी है और संबंधित अधिकारियों पर दोष की पुष्टि की है. विभाग ने आरोपियों से स्पष्टीकरण पूछा है. अब करीब 18 महीने से रिपोर्ट पर कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार विभाग द्वारा गठित विशेष जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीन करोड़ 34 लाख 92 हजार 537 रुपये की सरकारी राशि के गबन की पुष्टि की है. साथ ही, पांच करोड़ 55 लाख 18 हजार 995 रुपये सरकारी राशि के दुरुपयोग की पुष्टि की है.

क्या है पूरा मामला

वन प्रमंडल गया में नवसृजित आठ पौधशालाओं को 2019-20 और 2020-21 के दौरान विकसित करना था. इसके लिए 21 करोड़ 70 लाख 43 हजार 714 रुपये की स्वीकृति दी गयी थी. गया के तत्कालीन डीएफओ सहित अन्य वन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मंजूर किये गये आवश्यक निर्माण नहीं कर अन्य निर्माण कर दिया. उदाहरण के रूप में पानी टंकी बनाने की जगह पॉली हाउस बना दिया गया. पहली बार पीसीसीएफ (मुख्यालय) ने 27 सितंबर, 2020 गया वन प्रमंडल के कुशाबीजा पौधशाला का निरीक्षण किया था. निरीक्षण टिप्पणी में उन्होंने स्वीकृत कार्य की जगह अन्य कार्य करवाने के बारे में डीएफओ गया से स्पष्टीकरण पूछा था.

Also Read: नीतीश कुमार का बड़ा फैसला, बिहार में 17% तक बढ़ेगा ग्रीन एरिया, इस साल 4.33 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे
विशेष जांच समिति ने की मामले की जांच

पीसीसीएफ मुख्यालय ने इसे वित्तीय अनियमितता का मामला मानते हुए जांच के बाद पीसीसीएफ (विकास) से 29 अक्तूबर 2020 को मन्तव्य मांगा. इसके बाद विशेष जांच समिति का भी गठन हुआ. 2019-20 में गया के तत्कालीन डीएफओ अभिषेक कुमार ने 50 लाख तक की योजना को तकनीकी स्वीकृति दी. इसके साथ ही गया अंचल गया के वन संरक्षक रहने के दौरान एस चंद्रशेखर ने 50 लाख रुपये से अधिक की योजना पर तकनीकी स्वीकृति दी थी. इसके अलावा पटना के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक पीके गुप्ता ने 21 करोड़ 70 लाख 43 हजार 714 रुपये की तकनीकी स्वीकृति दी थी. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी ने कहा कि पूरे मामले की समीक्षा के बाद यथाेचित कार्रवाई की जायेगी.

Next Article

Exit mobile version