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Bihar 1st Phase Election: क्या कोरोना से डरेंगे बिहारी? 2015 के वोट प्रतिशत का रिकॉर्ड टूटेगा या गिरेगा मतदान का ग्राफ, यहां पढ़िए रिव्यू रिपोर्ट

Bihar 1st Phase Election: बिहार में विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग 28 अक्तूबर को होने वाली है. कोरोना काल में हो रहे इस चुनाव में मतदान अधिक चुनौतीपुर्ण होगा. वैसे तो हर चुनाव में अधिक से अधिक मतदाताओं को बूथों तक लाने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बात होती है, लेकिन इस बार यह कार्य ज्यादा मुश्किल लग रहा है.

Bihar 1st Phase Election: बिहार में विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग 28 अक्तूबर को होने वाली है. कोरोना काल में हो रहे इस चुनाव में मतदान अधिक चुनौतीपुर्ण होगा. वैसे तो हर चुनाव में अधिक से अधिक मतदाताओं को बूथों तक लाने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बात होती है, लेकिन इस बार यह कार्य ज्यादा मुश्किल लग रहा है. वर्ष 2015 में 56.66 फीसदी मतदाताओं ने अपना प्रतिनिधि चुनने में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन इस बार कोरोना के खतरे के कारण इस आंकड़े को छूना या मतदान प्रतिशत बढ़ाना आसान नहीं होगा.

वाबजूद इसके कि इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़ी हुई है. इतना ही लॉकडाउन के कारण दूसरे शहरों में बसे कई लोग भी इस समय अपने गांव या शहर में ही हैं. बिहार में मतदाताओं की संख्या सात करोड़ से अधिक हो गई है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कोरोना काल में इनमें से कितने अपने संवैधानिक अधिकार के लिए बूथों पर पहुंचेंगे और अपनी सरकार चुनेंगे.

कोरोना का डर है लेकिन लोग मानते नहीं

आकड़ों के मुताबिक, आचार संहिता लागू होने के बाद बिहार में 30 दिनों में कोरोना ने 161 लोगों की जान ले ली है. संक्रमण का दायरा हर दिन बढ़ रहा है. चुनाव की घोषणा के बाद ही दो मंत्रियों की कोरोना से मौत हुई है. नेताओं में कोरना संक्रमण के मामले भी इसी बीच बढ़े हैं. पटना में तो 30 दिनों में 53 मौतें हुईं. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन चुनाव में नहीं हो रहा है, यह लापरवाही आने वाले दिनों में बड़ा खतरा बन सकती है.

मतदान कम होने का अनुमान क्यों

कोरोना काल में हो रहे पहले चरण के चुनाव में मतदान कम होने की आशंका जतायी जा रही है. इसके कई कारण हैं. सबसे पहला तो कोरोना का डर. आशंका है कि कई लोग कोरोना के डर के कारण लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होना जरूरी ना समझें. हालांकि यह आशंका हाल की रैलियों के देख बेमानी सी लगती है क्योंकि रैलियों में बड़ संख्या में भीड़ उमड़ी थी.

ऐसा लगा था जैसे लोगों में कोरोना का कोई खौफ ना हो. रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग सिर्फ किताबीं बातें ही साबित हुई. दूसरा कारण ये कि मतदान केंद्रों पर भीड़ न लगे इसके लिए खास इंतजाम किए गए हैं. एक बूथ पर एक हजार लोग ही वोट करेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के कारण हो सकता है कि तय समय में लोग अपना वोट न डाल पाएं.

BIhar Voting Pattern: सिर्फ तीन बार ही 60 प्रतिशत के पार वोटिंग

बिहार में हुए विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो मतदान प्रतिशत में उतार-चढ़ाव होते रहा है. वर्ष 1952 में हुए पहले चुनाव में 39.51 फीसदी ही वोट पड़े थे. हालांकि तब बिहार में एक करोड़ 61 लाख 38 हजार 956 मतदाता थे. अगर ओवर ऑल देखें तो 16 बार हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ तीन बार ही मतदान प्रतिशत का आंकड़ा 60 फीसदी के पार पहुंचा है. 1990 में 62.04 प्रतिशत, 1995 में 61.79 प्रतिशत और 2000 के चुनाव में 62.57 प्रतिशत मतदान हुआ. हालांकि यह बात दीगर है कि उस समय बाहुबल और बूथ कैप्चरिंग के मामले भी बिहार में खूब सामने आते थे.

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बिहार में अबतक हुए वोटिंग पैटर्न पर एक नजर

वर्ष मतदान (%)

  1. 1952 39.51

  2. 1957 41.32

  3. 1962 44.47

  4. 1967 51.51

  5. 1969 52.79

  6. 1972 52.79

  7. 1977 50.51

  8. 1980 57.28

  9. 1985 57.27

  10. 1990 62.04

  11. 1995 61.79

  12. 2000 62.57

  13. 2005 फरवरी 46.50

  14. 2005 अक्टूबर 45.85

  15. 2010 52.67

  16. 2015 56.66

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Posted By: Utpal kant

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