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भोजपुर की महिला ने शराबबंदी को ले राज्य सरकार को दिखाया रास्ता

बबिता को देख शराबियों के उड़ जाते थे होश 14 मार्च, 2016 से सहार के बरुही में लागू हुई थी पूर्ण शराबबंदी आरा : जिले के सहार प्रखंड का बरूही गांव पहले नक्सलवाद से परेशान था. नक्सल कम हुआ, तो शराब ने यहां अपनी पैठ जमा ली. नक्सल की आग में कई लोग मारे गये […]

बबिता को देख शराबियों के उड़ जाते थे होश

14 मार्च, 2016 से सहार के बरुही में लागू हुई थी पूर्ण शराबबंदी
आरा : जिले के सहार प्रखंड का बरूही गांव पहले नक्सलवाद से परेशान था. नक्सल कम हुआ, तो शराब ने यहां अपनी पैठ जमा ली. नक्सल की आग में कई लोग मारे गये और अब शराब के सेवन से मौत का सिलसिला जारी था. अपने परिजनों को शराब से तिल-तिल मरते देख गांव की बहुओं को यह बरदाश्त नहीं हुआ. इन्हीं में से एक थी बबिता देवी. आठवीं पास बबिता के पति किशुन सिंह खेत में मजदूरी करते थे. वह अपनी सारी कमाई शराब और दोस्तों में उड़ा देते थे. बबिता के सिर पर घर चलाने के अलावा तीन बच्चों के पालन की भी जिम्मेवारी थी.
परेशान बबिता ने ग्राम संगठन की बैठक में अपनी समस्या बतायी. बैठक में यह बात सामने आयी कि शराबियों से सभी लोग परेशान हैं. यह उन दिनों की बात है जब बिहार में शराबबंदी नीति नहीं लागू हुई थी. लेकिन, बबिता के दृढ़ संकल्प के आगे राज्य सरकार भी झुक गयी. बबिता ने पहले शराब पीनेवाले एवं बेचनेवालों को समझाया. लेकिन, वह बबिता से ही उलझ पड़े. किसी ने कहा जब पुलिस नहीं रोकती है, तो महिला क्या कर लेगी?
इधर शराब के खिलाफ गांव की सभी महिलाएं एकजुट थीं, तो दूसरी तरफ शराब कारोबारियों के साथ इन महिलाओं के पति खड़े थे. हालत प्रतिकूल होते देख महिलाएं वापस लौट आयीं. इस बीच 8 मार्च, 16 को आरा में आयोजित महिला दिवस कार्यक्रम में इन महिलाओं ने शराबबंदी के लिए शपथ ली और इस कार्यक्रम की समाप्ति के बाद गांव में जाकर यह संकल्प लिया. कुछ भी हो जाये अब गांव में न तो शराब बनेगी, न ही बिकेगी और न ही कोई पियेगा.
13 मार्च, 2016 को गांव की महिलाओं ने बैठक बुलायी. मुख्य एजेंडा गांव में पूर्ण शराबबंदी था. इसके लिए टीम बनायी गयी. नेतृत्वकर्ता बबिता देवी बनी. शराब भट्ठियों को तोड़ने के लिए पहली टीम निकल पड़ी. जो भी हाथ में मिला मसलन लाठी एवं झाड़ू लेकर दिन भर खोज-खोज कर अवैध भट्ठियों को तोड़ा गया. दूसरे दिन भी सुबह से बबिता के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं ने भट्ठियों को तोड़ना शुरू किया. शराब कारोबारी गांव छोड़ कर भागने लगे.
महिलाओं ने दौड़ा-दौड़ा कर शराब कारोबारियों को पीटना शुरू किया. शराब बनानेवाले सामान में आग लगा दी गयी. क्या ससुर और क्या भैंसुर, सभी पीटे गये. पुलिस भी आयी लेकिन महिलाओं के उग्र रूप को देखते हुए चुपचाप खड़ी रही. सभी अवैध कारोबारियों को बीच सड़क पर खड़ा कर चेतावनी दी गयी कि आज के बाद शराब बेची, तो खैर नहीं. इस घटना के बाद शराब बनानेवाले, बेचनेवाले और पीनेवालों के बीच दहशत कायम हो गया.
14 मार्च, 2016 से सहार के बरुही में पूर्ण शराबबंदी लागू हो गयी. आज बरुही गांव के हर घर में खुशहाली है. बच्चे स्कूल जाते हैं और महिलाएं इज्जत से घर से बाहर आती जाती हैं. कल तक जो पुरुष ताने देते थे, अब वो उन्हें सम्मान देते हैं.
कई दिनों से खराब है बीपी जांच मशीन
सदर अस्पताल से बगैर इलाज कराये लौट रहे मरीज
आरा़ आइएसओ से मान्यता प्राप्त सदर अस्पताल की हकीकत है यह कि यहां का अस्पताल खुद बीमार हो गया है, वह भी इमरजेंसी वार्ड में. सदर अस्पताल की बीमारी को देख मरीजों का प्राइवेट क्लीनिक की ओर रुख करना स्वाभाविक है. बड़हरा के केशोपुर गांव से आये मुन्ना सिंह को तेज बुखार के साथ सिर दर्द था. ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने जैसे ही ब्लड प्रेशर जांच करनेवाली मशीन हाथ पर लगाया और हवा भरने का कार्य शुरू किया,
एकाएक मुन्ना सिंह का हाइ बीपी 20 तथा लो बीपी 0 बताने लगा. चिकित्सक का माथा चकराया दुबारा कोशिश का नतीजा और ज्यादा खराब निकला, इस बार हाइ बीपी 10 बताने लगा चिकित्सक ने मशीन जांच की, तो देखा कि प्रेसर देनेवाला रबड़ फटा हुआ है. मुन्ना सिंह के साथ आये उसके परिजन यह देख आग बबूला हो उठे और चिकित्सक को भला बुरा कहते हुए प्राइवेट क्लीनिक की ओर चलते बने. यह किसी के एक मुन्ना सिंह की कहानी नहीं है बल्कि गत कई दिनों से सदर अस्पताल से बिना बीपी जांच कराये ही मरीज वापस लौट रहे हैं.
हजारों की खरीदारी फिर भी मशीन मिलती है खराब
एक सप्ताह में यह दूसरी बार है जब ब्लड प्रेशर नापनेवाली मशीन खराब हो गयी. 26 से 27 सौ रुपये में यह मशीन मार्केट में मिलती है, सरकारी स्तर पर इसकी खरीदारी की जाती है बिना गुणवत्ता की जांच किये यह मशीन खरीद ली गयी. प्रतिदिन सदर अस्पताल में सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं मगर हर बार की तरह इस बार भी मरीजों को बिना ब्लड प्रेशर की जांच कराये निराश लौटना पड़ा
क्या कहते हैं अस्पताल प्रबंधक
मशीन खराब है और आज बदल दी जायेगी. उन्होंने कहा कि एक सप्ताह पहले खरीद कर नयी मशीन लायी गयी थी. नयी मशीन की खरीदारी कर ली गयी है, जिसे इमरजेंसी में उपलब्ध करा दी जायेगी.
पंकज कुमार सिंह, अस्पताल प्रबंधक

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