सजी सेवइयों की दुकानों पर जम कर हुई खरीदारी
शहर की मसजिदों में दिखी रौनक
कपड़े की दुकानों में भी लगी भीड़
आरा : ईद त्योहार को लेकर आरा शहर सहित ग्रामीण इलाकों के हाट-बाजारों में खरीदारी को लेकर निकले लोगों को बारिश ने बुरी तरह परेशान किया. बावजूद बाजारों में रौनक देखी गयी. हालांकि जहां मुसलिम आबादी ज्यादा है. वहां के बाजारों में बड़ी व आकर्षक सेवइयों की दुकानें सज गयी हैं. वहीं कपड़ों की दुकानों में भी खरीदारों की भीड़ लगी है. इधर मंगलवार सुबह व शाम में रुक-रुक कर हुई बारिश ने ईद बाजार को काफी प्रभावित किया.
सज गयी हैं सेवइयों व टोपियों की आकर्षक दुकानें
आरा शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में सेवइयों की दुकानें सज गयी हैं. दुकानदार अपनी दुकानों को विभिन्न तरीके से सजा रखे हैं, ताकि खरीदारी के लिए अधिक- से- अधिक ग्राहक अपनी ओर आकर्षित कर सकें. बता दें कि एक दर्जन से अधिक प्रकार की सेवइयां होती हैं, जिसकी कीमत भी अलग-अलग होती हैं. इस विभिन्न सेवइयों की कीमत 50 रुपये से लेकर 150 रुपये प्रति किलो की दर बेची जा रही है. अब लोग अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सेवइयों की खरीदारी कर रहे हैं. वहीं टोपियों के लिए भी बाजारों में दुकानें सज गयी हैं, जहां तरह-तरह की रंग-बिरंगी टोपियां बिक रही हैं. टोपियों की कीमत 50 रुपये से लेकर 250 रुपये तक है. लोग अपनी पसंद के अनुसार टोपियों की खरीद कर रहे हैं.
शहर व ग्रामीण क्षेत्र की मसजिदों में दिखी रौनक
आरा शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र की मसजिदों में काफी रौनक देखी गयी. मसजिदों की साफ-सफाई व रंगाई-पुताई की गयी है. उसे रंग-बिरंगे बल्बों से सजाया- संवारा जा रहा है. आरा शहर के गोपाली चौक स्थित बड़ी मसजिद, टाउन थाना स्थित मसजिद, मौलाबाग मसजिद, चंदवा, मिल्की मुहल्ला समेत तमाम मसजिदों में रौनक देखी गयी.
क्या कहते हैं रोजेदार
ईद मुसलिम धर्मावलंबियों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. एक माह की कठिन तपस्या के बाद आती है ईद. यह सारे गिले-शिकवे भूल कर सबको गले लगाने का दिन है. इस पर्व पर सभी अमीर-गरीब नये परिधान पहनते हैं.
मो महफूज आलम
रोजा रखने की खुशी में ईद मनायी जाती है. यह पवित्र रमजान के महीने का एक तोहफा है. इबादत व बरकत का महीना है. गुनाहों की माफी का महीना ईद है. ईद के दिन एक नेक काम करने के बदले 70 नेकियां मिलती हैं.
मो महमूद आलम
यह यह शबाब व इबादत का महीना है. गरीबों को जकात व फितरा देने का दिन है, ताकि सभी अमीर-गरीब एक साथ खुशियों से ईद मना सके. समाज में भाईचारगी व अमन के साथ रहने का संकल्प लेने का दिन है.
मो मुमताजुल हक
ईद एक महीने की कठिन मेहनत, तपस्या व इबादत का तोहफा है. समाज को एक सूत्र में जोड़ने एवं भाईचारगी के साथ मिल कर मनाने का दिन है ईद. गरीबों को मदद कर उनके साथ खुशियां मनाने का दिन है.
मो महबूब आलम
ईद आपसी भाईचारगी का दिन है. रमजान के महीने में कठिन इबादत के बाद हम अपने सारे गिले-शिकवे भूल कर अमन व शांति का पैगाम के रूप में ईद मनायी जाती है. यह काफी हंसी-खुशी के साथ मनाने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है. मो सुलतान अंसारी
साल भर की कमाई से जकात व फितरा निकाल कर गरीबों को मदद करने का दिन है ईद. यह मुसलिम समाज सहित सभी धर्मों के लोगों के साथ आदर प्रदर्शित करने का दिन है. हम इस रोज सभी से गले मिलते हैं. दुश्मन दोस्त बन जाते हैं.