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बालू माफियाओं ने करोड़ों की सरकारी संपत्ति की बर्बाद, एक भी केस दर्ज नहीं

भागलपुर. बालू का अवैध कारोबार और माफियाओं की मनमानी ने भागलपुर और बांका जिले में करोड़ों रुपये की सरकारी संपत्ति को नष्ट कर दिया है.

अंकित आनंद, भागलपुर. बालू का अवैध कारोबार और माफियाओं की मनमानी ने भागलपुर और बांका जिले में करोड़ों रुपये की सरकारी संपत्ति को नष्ट कर दिया है. खास बात यह कि यह सब होने के बाद भी सरकारी मुलाजिमों के कान पर जू तक नहीं रेंगी है.

मामले में कार्रवाई तो दूर की बात, अभी तक किसी भी बालू माफिया के खिलाफ एक केस भी दर्ज नहीं किया गया है. भागलपुर और बांका जिला प्रशासन भी इस दिशा में गंभीर नहीं है. इस कारण माफियाओं का मनोबल बुलंद है.

याद रहे राज्य सरकार ने इस बात की घोषणा की है कि बालू माफिया की संपत्ति जब्त कर ली जायेगी, पर इसका शायद ही इन इलाकों में कोई असर दिखता है. क्या है हकीकत पढ़े प्रभात खबर की पड़ताल.

यहां है माफियाओं का वर्चस्व

भागलपुर के जगदीशपुर, कजरैली, सजौर, मधुसूदनपुर आदि थाना क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक ऐसे इलाके हैं, जहां बालू माफियाओं का वर्चस्व है. इन जगहों पर इन लोगों ने स्वार्थ और आर्थिक लाभ के लिए सरकार द्वारा बनवाये गये करोड़ों रुपये के नदी बांध, सड़क, पुल, पुलिया को क्षतिग्रस्त कर दिया है.

यही नहीं कई इलाकों में दबंगई ऐसी कि लोगों की निजी जमीन और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया है. डर से कोई इनके खिलाफ बोलता नहीं. अगर बोला तो उसे धमका दिया जाता है.

250 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए थे तटबंध पर

1995 में भागलपुर और बांका जिले में आये भीषण बाढ़ में तीन दर्जन से अधिक गांव व खेतिहर जमीन तबाह हो गये थे. इसके बाद सरकार ने जगदीशपुर से लेकर बांका के बीच चानन नदी व उसकी छह सहायक नदियों पर तटबंध का निर्माण कराया था.

वर्ष 2007-2009 तक चले निर्माण कार्य पर 250 करोड़ से अधिक खर्च हुए थे. बाद में मरम्मत पर भी करोड़ों रुपये का खर्च आया था.

Posted by Ashish Jha

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