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भागलपुर में हनुमना डैम से निकला नहर बना परेशानी का सबब, जानें क्या है मामला

हनुमना डैम में पानी अत्यधिक हो जाता है, तो खेत को डूबा देता है. जब पानी कम रहता है तब खेत तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध ही नहीं हो पाता है. फसल को काफी क्षति हर वर्ष हो रही है.

भागलपुर (शुभंकर, सुलतानगंज): हनुमना डैम से निकाला गया नहर सिंचाई की सुविधा के लिए बनाया गया था. किसानों के खेत में सिंचाई के बाद लहलहाती फसल सभी का दिल खुश कर देती थी. आज सिंचाई के अभाव में खेत वीरान हो गये हैं. किसान खेत की दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं. कुमैठा पंचायत के लगभग एक हजार एकड़ खेत की सिंचाई के लिए बनाया गया नहर अतिक्रमित हो चुका हैं. जगह-जगह गंदगी का अंबार है, जिससे नहर से निकलने वाला पानी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

डैम के चलते आते रहता है बाढ़

ग्रामीणों ने बताया कि जब हनुमना डैम में पानी अत्यधिक हो जाता है, तो खेत को डूबा देता है. जब पानी कम रहता है तब खेत तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध ही नहीं हो पाता है. फसल को काफी क्षति हर वर्ष हो रही है. किसान मनोज कुमार मिश्रा, नीलम कुमार, नीरज मिश्रा, सुधीर कुमार, सुशील रविदास, देवन यादव ने बताया कि सिंचाई के अभाव में फसल नहीं लगने से खेत यूं ही पड़ा रह जाता है. बरसात में खेत में इतना पानी हो जाता है कि फसल की रोपनी हो ही नहीं पाती है.

दो किलोमीटर नहर के अस्तित्व पर संकट

काफी उपजाऊ जमीन होने के बाद भी सिंचाई की समुचित सुविधा नहीं मिलने से किसानों में फसल उत्पादन को लेकर असमंजस बनी रहती है. किसानों ने बताया कि लगभग दो किलोमीटर क्षेत्र में नहर फैला है. दो दशक पूर्व सैकड़ों एकड़ में सिंचाई की सुविधा किसानों को मिलती थी. आज कई स्थानों पर डांढ़ के अस्तित्व पर संकट हो गया है. 22 फीट चौड़ा आठ फीट गहरा नहर जगह-जगह अतिक्रमण होने से कई स्थानों पर समाप्त हो चुका है. कई स्थान पर केवल नाम मात्र का नहर दिखाई पड़ रहा है.

नहर की स्थिति काफी दयनीय

गंदगी का अंबार व अतिक्रमण से नहर की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है. पूर्व में नहर की चौड़ाई 22 फीट थी. अब मात्र 14 से 15 फीट बच गयी है. गहराई दो से तीन फीट है, जिससे पानी का निकासी समुचित रूप से नहीं हो पाती है. पानी की समुचित निकासी नहीं होने से डैम से पानी छोड़ने के बाद किसानों के खेतों में पानी अत्यधिक होने से जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. डैम से नहर बदामाचक के समीप से उधाडीह समीप मुख्य नहर में मिलती है, लेकिन इस दौरान कई जगह नहर का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. कई स्थानों पर अतिक्रमण और गंदगी से नहर काफी संकरा हो गया है.

एक दशक पूर्व सालाना पांच लाख की थी आमदनी

किसानों ने बताया कि एक दशक पूर्व इन खेतों से अच्छी उपज होती थी. सालाना लगभग चार से पांच लाख की आमदनी हो जाती थी. अब 30 से 50 हजार तक की आमदनी मुश्किल से हो पाती है. किसानों में सिंचाई सुविधा नहीं रहने से काफी परेशानी हो रही है. गांव में किसान पलायन को मजबूर हो रहे हैं. अच्छी आमदनी नहीं होने से दूसरे तीसरे के हाथ में खेती देकर शहर की ओर रूख कर रहे हैं. सिंचाई के अभाव में किसान कई प्रकार के समस्या से जूझ रहे हैं. किसान जनप्रतिनिधि से अधिकारी तक को अपनी पीड़ा सुना समस्या समाधान की मांग की.

बोरिंग लगा, किसान सिंचाई से वंचित

प्रखंड के कुमैठा पंचायत के मिश्रपुर उत्तरी में 19 वर्ष पूर्व बोरिंग किया गया था. मशीन भी बैठाया गया, लेकिन बोरिंग से सिंचाई की सुविधा किसानों को नहीं मिल पायी. किसान मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि किसान सिंचाई के लिए लालायित रहे. ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2003 में बोरिंग का निर्माण हुआ, लेकिन चालू नही हुआ. बोरिंग का पाइप मशीन यूं ही रखा है. बोरिंग का पाइप जीर्ण शीर्ण हो चुका है. कुछ माह पूर्व ट्रांसफाॅर्मर बोरिंग के समीप लगाया गया है, लेकिन ट्रांसफाॅर्मर भी चालू नहीं हो सका है. किसानों ने मांग की है कि सिंचाई सुविधा हजारों एकड़ खेती के लिए मिले.

विधायक ने विधानसभा में उठाया मामला

सुलतानगंज विधायक प्रो ललित नारायण मंडल ने सिंचाई सुविधा को लेकर विधान सभा में मामला उठाया था. विधायक ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में सिचाई सुविधा को लेकर मामला उठाया गया है. संबंधित विभाग के मंत्री ने बताया है कि नयागांव, किसनपुर, कटहरा, खानपुर में चैक डैम का निर्माण कराने का निर्देश दिया गया है, जिससे हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचेगा.

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