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Bihar Election 2020: इस बार पुत्र को विरासत सौंपने की तैयारी में सदानंद सिंह, कहलगांव सीट पर अब तक 12 बार कांग्रेस का रहा कब्जा…

प्रदीप विद्रोही, भागलपुर: जिले का कहलगांव विधानसभा सीट हैवीवेट सदानंद (कांग्रेस) के गढ़ के रूप में चर्चित रहा. सदानंद के खिलाफ मैदान में उतरने वाले चेहरे को 'सदानंदी वोट' से अलग बिखरे विरोधी वोट को एकत्र कर पटकनी देने में महज तीन बार सफलता मिली है. गंगोता जाति से आने वाले दो चेहरे जनता दल से महेश मंडल (वर्ष 1990 व 1995) दो बार व जदयू से अजय मंडल (वर्ष 2005) सदानंद की लगातार जीत में ब्रेक लगाने में कामयाब हो पाये.

प्रदीप विद्रोही, भागलपुर: जिले का कहलगांव विधानसभा सीट हैवीवेट सदानंद (कांग्रेस) के गढ़ के रूप में चर्चित रहा. सदानंद के खिलाफ मैदान में उतरने वाले चेहरे को ‘सदानंदी वोट’ से अलग बिखरे विरोधी वोट को एकत्र कर पटकनी देने में महज तीन बार सफलता मिली है. गंगोता जाति से आने वाले दो चेहरे जनता दल से महेश मंडल (वर्ष 1990 व 1995) दो बार व जदयू से अजय मंडल (वर्ष 2005) सदानंद की लगातार जीत में ब्रेक लगाने में कामयाब हो पाये.

अब तक कुल 16 विधानसभा चुनावों में 12 बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा

वैसे अब तक कुल 16 विधानसभा चुनावों में 12 बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा.इसमें रिकॉर्ड नौ बार सदानंद की जीत हुई. सदानंद को 1985 में जब कांग्रेस ने पार्टी टिकट से वंचित किया था, तो वे निर्दलीय (शेर छाप)चुनाव चिह्न पर लड़े व अपने संबंधी कृष्ण मोहन सिंह (कांग्रेस) को हराया.कहते हैं कि इस जीत के बाद ही ‘सदानंदी वोट’ बैंक की चर्चा आम हुई.

1969 में पहली बार सदानंद चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे

कहलगांव विधानसभा के पहले विधायक कांग्रेस के रामजन्म महतो हुए. 1957 व 1962 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार मकबूल अहमद जीते. 1967 में मकबूल साहब को कम्युनिस्ट पार्टी के नागेश्वर सिंह ने हरा दिया. जब सदानंद का चुनावी सफर शुरू हुआ तो वह तीन बार के ब्रेक के बाद लगातार चलता रहा. कुल मिलाकर 16 चुनावों में चार चुनाव यानी एक बार कम्युनिस्ट, दो बार जनता दल व एक बार जदयू ने कांग्रेस की इस परंपरागत सीट पर कब्जा जमाया. 1969 में पहली बार सदानंद चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.

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इस बार मैदान में होंगे शुभानंद मुकेश, पर बाजी आसान नहीं

इस बार सदानंद सिंह पहले ही राजनीतिक वारिस के रूप में इंजीनियर बेटे शुभानंद मुकेश के नाम का ऐलान कर चुके हैं. शुभानंद पिछले कई माह से कभी अपने पिता के साथ तो कभी खुद दिन-रात गांव-गांव घूम रहे हैं. वहीं, एनडीए में अब तक यह सीट किस दल को मिलेगा, इसका ही फैसला नहीं हो पाया है.पिछले चुनावों में विपक्ष ने कहकशां परवीन (जदयू), नीरज मंडल (लोजपा) को आजमाया है.

एनडीए में इस सीट पर कइ दावेदार

इस बार भी एनडीए के पाले से कहकशां परवीन, नीरज मंडल, मंतोष कापड़ी, सुभाष यादव, पवन यादव, लीना सिन्हा, नाजनी नाज, सुभाष भगत, संजीव कुमार, अरबिंद अकेला व मनोज यादव सहित कई चेहरे भाजपा, लोजपा, जदयू या निर्दलीय के रूप में चुनावी समर में कूदने को तैयार बैठे हैं. इस तैयारी के साथ-साथ अंततः इन चेहरों की नजर यह सीट किस दल को जायेगी, इस पर भी टिकी हुई है.

किसी मजबूत दावेदार की तलाश में एनडीए

वैसे, शुभानंद के लिए राह आसान नहीं है. एक ओर जहां मुद्दों को लेकर जनता सवाल पूछने को तैयार है, तो दूसरी ओर एनडीए भी किसी मजबूत दावेदार की तलाश में है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार का मुकाबला दिलचस्प होनेवाला है.

अब तक कौन-कौन रहे विधायक

1952 : रामजन्म महतो : कांग्रेस

1957 : सैयद मकबूल अहमद : कांग्रेस

1962 : सैयद मकबूल अहमद : कांग्रेस

1967 : नागेश्वर सिंह : सीपीआइ

1969 : सदानंद सिंह : कांग्रेस

1972 : सदानंद सिंह : कांग्रेस

1977 : सदानंद सिंह : कांग्रेस

1980 : सदानंद सिंह : : कांग्रेस

1985 : सदानंद सिंह : निर्दलीय

1990 : महेश मंडल : जनता दल

1995 : महेश मंडल : जनता दल

2000 : सदानंद सिंह : कांग्रेस

फरवरी 2005 : सदानंद सिंह : कांग्रेस

नवंबर 2005 : अजय मंडल : जदयू

2010 : सदानंद सिंह : कांग्रेस

2015 : सदानंद सिंह : कांग्रेस

Published by : Thakur Shaktilochan Sandilya

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