भागलपुर: दुर्गाबाड़ी बंगाली समाज का सांस्कृतिक केंद्र है. यहां समय-समय पर दुर्गा पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिता, नाटक आदि का आयोजन होता है. हालांकि अब यहां अंग व बंग की साझी संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है. कुल मिलाकर भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए दुर्गाबाड़ी प्रबंधन ने 100 वर्ष पूरा होने पर शताब्दी द्वार का निर्माण कराया गया. इस शारदीय नवरात्र में यह शताब्दी द्वार श्रद्धालुओं के लिए खास आकर्षण का केंद्र होगा.
दुर्गाबाड़ी कमिटी के सचिव सुब्रतो मोइत्रा ने बताया कि मशाकचक में 19 फरवरी 1918 में दुर्गाबाड़ी भवन बनाया गया था. 100 वर्ष पूरा होने पर 19 फरवरी 2017 को दो किलोमीटर दूर तक की ऐतिहासिक शताब्दी शोभायात्रा निकाली गयी थी. हाथी, घोड़ा, पालकी, बग्घी के साथ भारत की विविध संस्कृति को समेटे हुए सांस्कृतिक झांकियां निकाली गयी थी. विभिन्न प्रांतों व स्थानों के लोगों ने इसमें शिरकत किया था.
दुर्गाबाड़ी के कन्वेनर डॉ. शंकर ने बताया कि खासकर दुर्गाबाड़ी को नारी सशक्तीकरण का केंद्र भी है. ऐसे में महिलाओं द्वारा एकता और वीरता का संदेश दिया जाता है. इन यादों को संजोने के लिए शताब्दी द्वार का निर्माण कराया गया. इन यादों को संजोने के लिए शताब्दी द्वार का निर्माण कराया जा रहा है. महिलाएं अनन्या संगठन बनाकर सामाजिक सेवा का कार्य कर रही हैं. इसके अलावा समाज की गरीब महिलाओं को सशक्त बना रही हैं.
सुब्रतो मोइत्रा ने बताया कि इस शताब्दी द्वार का निर्माण 10 लाख रुपये से अधिक की लागत से कराया गया. बंगाल के मुर्शिदाबाद स्थित जंगीपुर के कलाकार काजल शेख के नेतृत्व में निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया. राजस्थान समेत देश के विभिन्न हिस्सों से ग्रेनाइट लाकर लगाये गये. शताब्दी द्वार का तोरण द्वार 30 फीट ऊंचा है.