जमालपुर : जिन बेटे-बेटियों के लिए मां-बाप अपनी सारी खुशियां कुरबान कर देते हैं. वही बच्चे जब बड़े हो जाते हैं, अपने परिवार की जिम्मेदारी लेते हैं,
तो बूढ़े मां-बाप को बोझ समझने लगते हैं. रविवार को ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे बांका निवासी वृद्ध नारायण दास ने 12367 अप भागलपुर-आनंद विहार विक्रमशिला एक्सप्रेस से जान देने के लिए छलांग लगा दी. हालांकि आरपीएफ के जवानों ने उनकी जान बचा ली. बाद में आरपीएफ के जवानों ने ही वृद्ध को कुछ राशि देकर उसकी एक पुत्री के घर भेज दिया. मामला रविवार के
बेटी ने कहा…
अपराह्न करीब साढ़े बारह बजे का है. 12367 अप वक्रिमशिला सुपरफास्ट एक्सप्रेस जमालपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर लगी. इसी बीच बांका जिला के खेसर थाना क्षेत्र के गादीराता निवासी करीब वृद्ध नारायण प्रसाद साह (80) यह बड़बड़ाते हुए कहा कि आज जान दे ही दूंगा और स्लीपर बोगी में सवार हुआ. वहीं पास में आरपीएफ के मे आइ हेल्प यू बूथ में कार्यरत महिला सिपाही अन्नपूर्णा कुमारी तथा मो असलम ने बूढ़े को तनावग्रस्त तथा बड़बड़ाते देख उस पर नजर बनाये रखी.
वृद्ध बोगी में सवार होकर अपोजिट साइड के दरवाजे के निकट खड़ा हो गया. ट्रेन ज्योंही खुली उसने ट्रेन पर से छलांग लगा दी. दोनों जवान भी नीचे कूद पड़े तथा वृद्ध को ट्रेन के नीचे सरकने के प्रयास को विफल किया तथा ट्रेन के गुजरने के बाद दुबारा प्लेटफॉर्म पर लाया. जहां वृद्ध ने बताया कि उसे तीन पुत्र तथा दो पुत्रियां हैं.
उनके पुत्रों में बड़ा पुत्र दीपक कुमार बांका में दवा व्यवसायी है, जबकि दूसरा पुत्र विवेक पोद्दार संग्रामपुर में और तीसरा पुत्र रजनीश कुमार ढनढनिया भागलपुर में सर्राफा व्यवसायी है. वह अपनी पुत्री नूतन कुमारी के यहां थे. जिसने उसे आज यह कह कर भगा दिया कि जहां जाना है, जाइये. वृद्ध ने बताया कि वह अपने छोटे दामाद तथा मुंगेर के गुलजार पोखर में कोई इलेक्ट्रॉनिक्स कारीगर उत्तम कुमार के पास जाना चाहता है. जिन्हें आरपीएफ कर्मियों द्वारा कुछ राशि देकर रवाना कर दिया गया. यात्रियों ने आरपीएफ की भूमिका की प्रशंसा की है.
पुत्र रजनीश ढनढांनिया भागलपुर में है सर्राफा व्यवसायी