निलंबित दवा दुकानदार दे रहे ड्रग विभाग को ”गच्चे का डोज”

औषधि विभाग के कायदे-कानून का पालन न करने पर शहर के 22 दवा की दुकानों का दस से 90 दिनों के लिए हो चुका है ड्रग लाइसेंस 5 अप्रैल तक इन दुकानों को थमाया जा चुका है नोटिस, फिर भी खुल रही दुकानें भागलपुर : पहले तो औषधि विभाग(ड्रग डिपार्टमेंट) भागलपुर के निरीक्षण में लापरवाह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 1, 2017 5:56 AM

औषधि विभाग के कायदे-कानून का पालन न करने पर शहर के 22 दवा की दुकानों का दस से 90 दिनों के लिए हो चुका है ड्रग लाइसेंस

5 अप्रैल तक इन दुकानों को थमाया जा चुका है नोटिस, फिर भी खुल रही दुकानें
भागलपुर : पहले तो औषधि विभाग(ड्रग डिपार्टमेंट) भागलपुर के निरीक्षण में लापरवाह पाये गये. फिर इन्हें इनके दवा की दुकानों का ड्रग लाइसेंस आंशिक तिथि के लिए सस्पेंड कर दिया गया. फिर ड्रग विभाग सेंटिंग कहे या फिर दवा दुकानदारों की दबंगई, ड्रग लाइसेंस निलंबित होने के बावजूद इन दवा की दुकानों से दवाओं की बिक्री हो रही है.
केस नंबर एक : शनिवार को दोपहर 12 बजे का वक्त, स्थान राधा रानी सिन्हा रोड. यहां पर विक्रमशिला मेडिकल हॉल है. इस दुकान का ड्रग लाइसेंस 90 दिन के लिए निलंबित हो चुका है. नियमत: निलंबित अवधि तक इनकी दुकान नहीं खुलनी चाहिए. लेकिन न केवल इस दुकान का शटर अप था, बल्कि ग्राहक दवा की खरीद भी कर रहे थे.
केस नंबर दो : शनिवार दोपहर 12:05 बजे का वक्त, नमन आर्थो सर्जिकल दुकान खुली है. इस दुकान का लाइसेंस 30 दिन के लिए निलंबित हो चुका है. ड्रग विभाग के अनुसार, 15 अप्रैल तक इन्हें निलंबित होने का नोटिस भी थमाया जा चुका है. बावजूद इस दुकान से कारोबार हो रहा था.
केस नंबर तीन : दोपहर 12:06 बजे का वक्त. नमन आर्थो सर्जिकल दुकान से लगभग बगल में प्रमिला मेडिकल हॉल दुकान अवस्थित है. इस दुकान का लाइसेंस 60 दिन के लिए निलंबित हो चुका है. बावजूद इस दुकान पर ग्राहकों को दवा बेचने का काम बेरोक-टोक जारी था.
ये तो चंद उदाहरण हैं. इनके अलावा एमपी द्विवेदी रोड, अलीगंज, रामसर चाैक, तिलकामांझी स्थित कई दुकान खुली पायी गयी जिनके लाइसेंस 30 दिन से लगायत 90 दिन के लिए निलंबित है. विभागीय सूत्रों की माने तो लाइसेंस सस्पेंड करने के बावजूद दुकानों के खुलने के खेल में विभाग के कुछ जिम्मेदार भी शामिल हैं. पहले तो निलंबित दवा की दुकानों को नोटिस कुछ दिन बाद दी जाती है. फिर इन दुकानों की मानीटरिंग नहीं की जाती है. जिससे निलंबित दवा के दुकानदार अपनी दुकान को खोल कर दवा बिक्री का काम करते रहते हैं. सूत्रों की माने तो इस मनमानी व अनदेखी के खेल में पैसे की बड़ी भूमिका होती है. इसी के दबाव में ड्रग विभाग के जिम्मेदार अपनी आंखें मूंदे रहते हैं.

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