बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना
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बाढ़ से बचाने के ढूंढ़े उपाय
बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना अभियंता प्रमुख ने पाइप लाइन कार्य, कॉपर डैम की सफाई, स्टेनर क्लियरेंश, बोल्डर पिचिंग, बिजली कनेक्शन शीघ्र पूरा करने को कहा कहलगांव : अभियंता प्रमुख ने गंगा तट स्थित स्टेज वन तटीय इलाके को परियोजना के मानचित्र को देखते हुए उपस्थित इंजीनियर को कई निर्देश दिये. पंप हाउस के रिंग […]
अभियंता प्रमुख ने पाइप लाइन कार्य, कॉपर डैम की सफाई, स्टेनर क्लियरेंश, बोल्डर पिचिंग, बिजली कनेक्शन शीघ्र पूरा करने को कहा
कहलगांव : अभियंता प्रमुख ने गंगा तट स्थित स्टेज वन तटीय इलाके को परियोजना के मानचित्र को देखते हुए उपस्थित इंजीनियर को कई निर्देश दिये. पंप हाउस के रिंग बांध में बोल्डर पीचिंग सहित चारों ओर सीट पाइल, बोल्डर पीचिंग, मिट्टी फिलिंग कर उसे बाढ़ से बचाने के उपाय करने को कहा. हाल ही में बाढ़ के समय पंप हाउस के चारों ओर पानी बृहत पैमाने पर जम गया था. गंगा तट स्थित स्टीम की ओर कॉपर डैम के पास सेक्शन पाइप के नीचे से गाद-मिट्टी को डोजर से शीघ्र हटाने का निर्देश दिया. स्टेनर की साफ़-सफाई के बाद ही ट्रेस रैक फिटिंग करना है.
इसके बाद ही पानी पंप हाउस द्वारा खींचने की प्रक्रिया शुरू हो पायेगी. सिविल वर्क की सुस्ती पर उन्होंने दो टूक शब्दों में परियोजना के कार्यपालक अभियंता योगेंद्र मालाकार सहित उपस्थित इंजीनियरों को कहा कि सिविल वर्क के लिए एक माह, पाइप लाइन के काम को समाप्त करने के लिए 20 दिन का समय दिया जाता है. हर हाल में इस अवधि में काम पूरा होना चाहिये. सुस्ती पर दोषियों पर कार्रवाई होगी. केनाल व नहर को भी देखा : पटना से आयी टीम ने परियोजना के दोनों पंप हाउस के कार्यों का निरीक्षण के पूर्व दूर तक मुख्य केनाल, सहायक केनाल व नहर का भी जायजा लिया.
केनाल के अधूरे कार्यों को शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया. हाल ही में नहर स्थित एक पुल के विवाद को सुलझाते हुए कहा कि ग्रामीणों की मांग के अनुरूप उक्त पुल के अलावा दूसरे पुल का निर्माण शीघ्र कराया जायेगा. निरीक्षण टीम के साथ भागलपुर के अधिकारी मुख्य अभियंता धरणीधर प्रसाद, मैकेनिकल के कार्यपालक अभियंता देवेन्द्र सिंह सहित स्थानीय जेई अखिलेश कुमार, प्रवीण कुमार, रामचंद्र मंडल, मृत्युंजय राम भी उपस्थित थे.
जल संसाधन विभाग के अिभयंता प्रमुख ने किया बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना का निरीक्षण.
40 साल बाद किसानों के अरमान होंगे पूरे
इस परियोजना की शुरुआत 1977 के नवंबर में हुई थी. उक्त समय इस परियोजना की लागत 379 करोड़ रुपये थी. हाल ही में इस परियोजना की लागत 878 करोड़ की गयी. कुल 40 साल के बाद इस परियोजना के पूरा होने की उम्मीद अब जगी है. इस महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना से बिहार व झारखंड की कुल 27 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई का लक्ष्य है. इससे 22 हजार हेक्टेयर बिहार व 05 हजार हेक्टेयर झारखंड की भूमि की सिंचाई होगी.
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