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कहने भर को 102 एंबुलेंस सेवा

फ्लॉप व्यवस्था. टेंपो-ठेला से प्रसव के लिए अस्पताल आ रही प्रसूता भागलपुर : तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है, तुम्हारी मेज चांदी की तुम्हारे जाम सोने के, यहां जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है.” ना मी शायर अदम गोंडवी ये लाइनें […]

फ्लॉप व्यवस्था. टेंपो-ठेला से प्रसव के लिए अस्पताल आ रही प्रसूता

भागलपुर : तुम्हारे फाइलों में गांव
का मौसम गुलाबी है,
मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये
दावा किताबी है,
तुम्हारी मेज चांदी की तुम्हारे
जाम सोने के,
यहां जुम्मन के घर में आज
भी फूटी रकाबी है.”
ना मी शायर अदम गोंडवी ये लाइनें आज के परिवेश में स्वास्थ्य विभाग की मौजूदा 102 नंबर की एंबुलेंस सेवा पर सटीक बैठती है. कहने काे स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस सेवा गांव से लेकर मायागंज हॉस्पिटल वाया सदर अस्पताल तक मरीजों को लगातार ढो रही है. लेकिन हकीकत के आइने में ये दावा हवा-हवाई ही साबित हो रहा है. आलम यह है कि स्मार्ट सिटी में शुमार हाे रहे भागलपुर में गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए ठेला-टेंपो या फिर निजी संसाधनों के जरिये सदर अस्पताल आ रही हैं.
कहने को हर अस्पताल में एंबुलेंस, 10 खराब : स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जिले में मौजूद 26 एंबुलेंस में 16 एंबुलेंस चल रहे हैं. मतलब सूबे के हर पीएचसी, अनुमंडल व रेफरल अस्पताल(खरीक व सबौर पीएचसी को छोड़ कर) पर कम से कम एक 102 नंबर के एंबुलेंस चालू अवस्था में मौजूद हैं. इन सबके बावजूद गर्भवती महिलाएं अपने संसाधनों या फिर प्राइवेट गाड़ियों से प्रसव के लिए सदर अस्पताल आने काे मजबूर हैं.
सिर्फ कागजों पर दौड़ रही है एंबुलेंस व्यवस्था
मकंदपुर निवासी बृजेश कुमार राय की पल्लवी देवी (25 वर्ष) को सोमवार की रात दो बजे प्रसव दर्द शुरू हुआ. घरवालों ने 102 नंबर पर फोन किया. काल रिसीव न होने की दशा में हैरान-परेशान पल्लवी को टेंपो पर लादकर कोहरे में डूबी सड़कों से होकर सदर अस्पताल लाया गया.
बसंतपुर निवासी डब्बू पंडित की पत्नी सविता देवी (26 वर्ष) को मंगलवार की भाेर (2:30 बजे)में प्रसव का दर्द हुआ. 102 नंबर पर कॉल करने पर फोन बिजी बताता रहा. मजबूरन सविता को मोटरसाइकिल पर बैठा कर सदर अस्पताल लाया गया.
सराय किलाघाट निवासी विक्की साह की पत्नी अंजली देवी (22 वर्ष) को आठ जनवरी की रात प्रसव दर्द शुरू हुआ. बहुत का‍ॅल किया लेकिन 102 नंबर का फोन नंबर नहीं उठा. मजबूरन परिजन उसे रिक्शा पर बैठा कर सदर अस्पताल लेकर आये, जहां उसकी रात 9:35 बजे नार्मल डिलीवरी हुई.
17 बार कॉल, तीन बार रिसीव, फिर ठेले पर आयी
24 दिसंबर की रात बसंतपुर गांव की अंजली देवी को करीब ढाई से तीन बजे प्रसव का दर्द शुरू हुआ. परिजनों के अनुसार, 102 नंबर फोन पर एक-दो बार नहीं बल्कि 17 बार फोन किया गया. तीन बार कॉल रिसीव भी किया. फोन आॅपरेटर ने 30 मिनट में एंबुलेंस पहुंचने का दावा भी किया. लेकिन डेढ़ घंटे के इंतजार के बाद एंबुलेंस जब नहीं आया तो परिजन अंजली को ठेला पर लाद कर सदर अस्पताल पहुंचाया गया. 25 दिसंबर की सुबह बच्चे ने जन्म लिया.
कहने को पूरा सिस्टम सक्रिय
स्टेट हेल्थ सोसाइटी के सचिव के आदेशानुसार, अगस्त 2016 में जिले में 102 नंबर एंबुलेंस सेवा को दुरुस्त करने के लिए भागलपुर का नोडल प्रभारी डीपीएम भागलपुर फैजान आलम अशरफी को बनाया गया था. साथ ही पूरे जिले को चार सेक्टर में बांटते हुए इसके चार सेक्टर प्रभारी की नियुक्त हुए थे. नशा मुक्ति केंद्र को इस सेवा का कार्यालय बनाया गया था. बावजूद एंबुलेंस व्यवस्था कारगर नहीं है.
102 नंबर एंबुलेंस सेवा पटना से संचालित है. इसका यहां से किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं है. हर सरकारी अस्पताल की परची पर मेरा व सिविल सर्जन का नंबर अंकित रहता है. अगर एंबुलेंस संबंधी किसी भी प्रकार की असुविधा हो तो आशा से संपर्क करें. अगर तब भी काम न बने तो कभी भी मुझसे या फिर सिविल सर्जन के नंबर पर फोन करें.
फैजान आलम अशरफी, नोडल
प्रभारी 102 एंबुलेंस सेवा भागलपुर

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