भागलपुर : स्कूलों में मध्याह्न भोजन पकाने व रखने के लिए रसोई घर सह भंडार गृह का निर्माण किस तरह हो रहा है, इसे देखना भी जिले के अधिकारियों ने उचित नहीं समझा. नतीजतन रसोई घर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और मध्याह्न भोजन पकाने का काम जैसे-तैसे होता रहा. इस बात का खुलासा डीइओ व मध्याह्न भोजन योजना के डीपीओ की भेजी रिपोर्ट से हुअा है. सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय द्वारा गठित इंजीनियर की टीम की देखरेख में रसोई घर निर्माण का काम होना था,
लेकिन निर्माण की प्रगति रिपोर्ट लेखा टीम को कार्यालय नहीं दिखा पाया. विद्यालयों को उपलब्ध करायी गयी राशि का उपयोग किस प्रकार हो रहा है और गुणवत्ता का कितना ख्याल रखा जा रहा है, इसकी भी जानकारी कार्यालय को नहीं थी. वर्ष 2011-12 व 2014-15 में रसोई घर निर्माण के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी को उपलब्ध करायी गयी राशि में 35.76 लाख की राशि से हुए निर्माण पूरे नहीं हो सके.
यह है मामला : बच्चों को स्वच्छ व गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने स्कूलों में अलग से रसोई घर सह भंडार गृह निर्माण का निर्णय लिया था. भवन निर्माण का क्रियान्वयन विद्यालय शिक्षा समिति की उप समिति को करना था. तीन से चार माह में निर्माण कार्य पूरा करने का एकरारनामा किया गया था. निर्माण कार्य की देखरेख की जिम्मेवारी सर्व शिक्षा अभियान की तकनीकी टीम को सौंपी गयी थी. वर्ष 2011-12 व 2014-15 में भागलपुर जिले के 21 विद्यालयों को प्रथम किस्त के रूप में 35,75,652 रुपये उपलब्ध कराते हुए एकरार कराया गया. एकरारनामे के अनुसार निर्माण कार्य पूरा करने की तिथि से 19 से 56 माह अधिक बीत गये, कार्य पूरा नहीं हुआ.
अब राशि वसूली की हो रही बात : लेखा टीम ने जब मध्याह्न भोजन कार्यालय से पूछा कि अधूरे निर्माण कर राशि को फंसाने का औचित्य क्या था. मध्याह्न भोजन कार्यालय ने कहा कि इस संबंध में विद्यालयों को उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश दिया गया है. उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराने पर सूद समेत राशि वसूली जायेगी.
मध्याह्न भोजन योजना
में गड़बड़ी-3
35.76 लाख की लागत से अधूरे निर्माण के कारण जैसे-तैसे बन रहा मध्याह्न भोजन