सुलतानगंज : जैसा भाव मनुष्य रखता है, भगवान उसी रूप में उसे प्राप्त होते हैं. भागवत महापुराण में श्रीकृष्ण की शक्ति स्थापित है. उक्त बातें स्वामी पथिक जी महाराज के शिष्य स्वामी सुबोधानंद महाराज ने कही. कथा के दौरान उन्होंने कहा कि संसार में सबसे बड़ा बुद्धिमान व चतुर इनसान वहीं है जो मृत्यु होने के पूर्व ही आत्म ज्ञान प्राप्त कर लेता है.
भागवत महापुराण भगवान कृष्ण का ही वांग्मय स्वरूप है, जिसके श्रवण मनन से राजा परिक्षित को मृत्यु के पहले ही परमपद की प्राप्ति हो गयी थी.कृष्ण-रुक्मिणी, सुदामा की जीवंत झांकी दिखायी गयी. जीव और ईश्वर के एकता को ही कृष्ण-सुदामा मैत्री के रूप में भागवत महापुराण में प्रतिपादित किया गया है.